November 26, 2024

राजस्थान में बदल गई BJP की रणनीति? पीएम मोदी और वसुंधरा राजे की केमिस्ट्री के क्या मायने हैं

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 जयपुर
राजस्थान में पीएम मोदी के लगातार हो रहे दौरे के बाद बीजेपी की रणनीति बदल गई है। लंबे समय से पार्टी पार्टी में साइड लाइन रही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को अमित शाह से लेकर पीएम मोदी संग खासी तवज्जो मिल रही है। सीकर में पीएम मोदी की सभा में वसुंधरा राजे ने खासी तवज्जो मिली है। वसुंधरा राजे ने पीएम मोदी की तारीफ कर न केवल अपने सियासी विरोधियों को संदेश दिया बल्कि सभा में उमड़ी भीड़ ने राजे का स्वागत किया। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान वसुंधरा की अनदेखी नहीं करना चाहता है। माना यह भी जा रहा है कि चुनाव से पहले वसुंधरा राजे अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। टिकट वितरण में वसुंधरा राजे की बात मानी जाएगी। बता दें पीएम मोदी से पहले राज्य के दौरे पर आए अमित शाह ने भी वसुंधरा राजे के कामकाज की जमकर तारीफ की थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सभी धड़े एकजुट रहने के सियासी मैसेज दे रहे हैं।

सर्वे से उत्साहित वसुंधरा राजे समर्थक
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए ज्यादा समय नहीं है। अब यह तय हो गया है कि चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। चुनाव बाद सीएम तय होगा। वसुंधरा राजे कैंप भी मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने को लेकर पार्टी आलाकमान पर दबाव नहीं बनाना चाहता है। वसुंधरा राजे के समर्थक खामोश है। माना यही जा रहा है कि चुनाव बाद बीजेपी सत्ता में आती है तो विधायक जिसे चाहेंगे वही सीएम बनेगा। ऐसे में भी वसुंधरा राजे समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा होने के आसार है। क्योंकि टिकट वितरण में वसुंधरा राजे की चलने की पूरी संभावना है। वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत फिलहाल खामोश है। केंद्रीय मंत्री शेखावत बार-बार पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की बात कहते रहे हैं। लेकिन पार्टी आलाकमान ने अपना दृष्टिकोण साफ कर दिया है कि चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। वसुंधरा राजे समर्थक एक चैनल द्वारा किए गए सर्वे से खुश है। सर्वे के मुताबिक बीजेपी में वसुंधरा राजे की कदकाठी जैसा नेता नहीं है। जनता सीएम के तौर पर वसुंधरा राजे को ही पंसद करती है।

वसुंधरा राजे का बढ़ता कद
सियासी जानकारों का कहना है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के हटने के बाद से ही वसुंधरा राजे की पार्टी के मंचों पर उपस्थिति बढ़ी है। वसुंधरा राजे कैंप के नेता दबी जुबान में पूनिया का विरोध कर रहे थे। हालांकि, खुलकर बोलने से बच रहे थे। ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव से ठीक पहले वसुंधरा राजे की नाराजगी दूर करने के लिए ही सतीश पूनिया को उनके पद से हटाया गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि यही वजह है वसुंधरा राजे न केवल पार्टी की मिटिंग में भाग ले रही बल्कि कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए प्रदेश के विभिन्न हिस्सों का दौरा भी कर रही है।

 

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