हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई : हिंदी के साथ अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों का मिल रहा अच्छा प्रतिसाद
मंत्री सारंग ने सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों से वीसी पर की चर्चा
भोपाल
एमबीबीएस प्रथम वर्ष की हिंदी पुस्तकों का चिकित्सा विद्यार्थियों में अच्छा प्रतिसाद देखने को मिल रहा है। हिंदी के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी भी हिंदी पुस्तकों से पढ़ाई करने में रूचि दिखा रहा है। यह जानकारी एमबीबीएस द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष की हिंदी पुस्तकों के लिप्यंतरण कार्य की समीक्षा बैठक के दौरान बताई गई। शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के डीन एवं लिप्यंतरण कार्य करने वाले चिकित्सा शिक्षकों के साथ संवाद किया। मंत्री सारंग ने लिप्यंतरण कार्य की अध्ययतन स्थिति की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। बैठक में आयुक्त चिकित्सा शिक्षा गोपाल चंद्र डाड, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. अरूण कुमार श्रीवास्तव, सभी 13 शासकीय मेडिकल कॉलेजों के डीन, स्टेट नोडल अधिकारी हिंदी प्रकोष्ठ डॉ. लोकेंद्र दवे, हिंदी प्रकोष्ठ के सदस्य एवं लिप्यांतरण करने वाले 200 से अधिक चिकित्सा शिक्षक उपस्थित थे।
मेडिकल की हिंदी पुस्तकों से अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों की पढ़ाई हुई आसान
बताया गया कि सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों में हिंदी पुस्तकों का वितरण किया जा चुका है। वहीं विद्यार्थियों की आवश्यकता को देखते हुए और किताबों की मांग भी भेज दी गई है। हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों में भी पुस्तकों को लेकर रूचि बढ़ी है। अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों का कहना है कि हिंदी में कठिन विषयों को समझने में आसानी हो रही है। इस पर मंत्री सारंग ने एक हफ्ते के भीतर फार्म जारी कर विद्यार्थियों से फीडबैक लेने के निर्देश दिये।
सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में हुई हिंदी वॉररूम मंदार की स्थापना
सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के अधिष्ठाताओं द्वारा बताया गया कि महाविद्यालय में हिंदी पुस्तकों के लिप्यंतरण कार्य के लिये हिंदी वॉररूम “मंदार” की स्थापना कर दी गई है। इसके साथ ही 12 विषयों के लिये 12 ऑपरेटरों की नियुक्ति भी पूर्ण कर ली गई है। मंत्री सारंग ने हिंदी वॉररूम मंदार के भोपाल मुख्यालय के साथ समन्वय के लिये प्रभारी बनाने के निर्देश भी दिये।
सितंबर तक की टाइमलाइन की तय
मंत्री सारंग ने बताया कि एमबीबीएस द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष की मेडिकल पुस्तकों के हिंदी लिप्यंतरण के लिये सितंबर माह तक की टाइमलाइन तैयार की गई है। प्रत्येक 13 मेडिकल कॉलेजों में हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ठ को सॉफ्टवेयर आधारित एआई के उपयोग के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि सभी 12 विषयों के लिये चिंहित टीम में ट्रांसलिट्रेशन के लिये चैप्टर आवंटित किये जायेंगे जिसकी कार्य प्रगति को डेशबोर्ड पर दर्ज किया जायेगा। डीएमई हर 3 दिन में एवं सीएमई हर 7 दिन में इसकी समीक्षा करेंगे। वहीं वे स्वयं हर 10 दिन में कार्य प्रगति की समीक्षा करेंगे।