बस्तर और आदिवासी वोट बैंक को साधने लता उसेंडी को बनाया उपाध्यक्ष
रायपुर
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित हुई जिसमें छत्तीसगढ़ से तीन नाम और सभी उपाध्यक्ष,जिनमें से दो डा.रमन व सरोज पांडे का तो समझ आ रहा है लेकिन आदिवासी महिला नेत्री लता उसेंडी को सीधे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद देना यह बता रहा है कि आदिवासी वोट बैंक और बस्तर दोनों ही भाजपा के लिए काफी अहम है।
हालांकि लता उसेंडी पिछला चुनाव हार गई थीं,और प्रदेश संगठन में महिला मोर्चा की इकाई से परे कोई ऐसी तेज तर्रार छवि भी नहीं है कि बस्तर या प्रदेश की राजनीति पर असर डल पाये,उस बस्तर में जहां स्व.बलीराम कश्यप के बेटों के साथ और भी आदिवासी नेता सक्रिय हैं। हां इतना जरूर है कि किसी प्रकार विवाद से उनका कभी नाता नहीं रहा। राष्ट्रीय नेतृत्व ने एकाएक कद बढ़ाया भी तो इतना कि डा.रमन और सरोज के बराबर का पद देकर मतलब चर्चा स्वाभाविक है। पहली नियुक्ति सचिव के रूप में भी हो सकती थी लेकिन नड्डा और शाह ने कुछ सोंचकर ही यह पद उन्हे सौंपा होगा।
हालांकि जब से नंदकुमार साय ने भाजपा छोड़ा है कांग्रेस लगातार प्रचारित करते रही है कि आदिवासी नेताओं को भाजपा में ठगा जा रहा है,चुनाव से पहले और भी नेता पार्टी छोड़ेंगे.ननकीराम कंवर भी पार्टी लाइन से नाराज चल रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषणा से पहले ये खबर आते रही कि नए चेहरों को मौका मिलेगा पर डा.रमन और सरोज दोनों को पार्टी किनारे नहीं कर पायी। एक ओर कांग्रेस ने मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर केबिनेट मंत्री बनाया और अब भाजपा ने लता उसेंडी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,मतलब बस्तर की राजनीतिक में गहमागहमी यहीं से बढऩा है।