November 25, 2024

प.बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के स्वास्थ्य में सुधार

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कोलकाता
 श्वास संबंधी समस्या को लेकर अलीपुर के वुडलैंड्स अस्पताल में भर्ती पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है।

उनका इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बुधवार को बताया कि उन्हें अस्पताल से कब छुट्टी देनी है, यह तय करने से पहले डॉक्टर उनके इलाज के अगले चरण पर विचार कर रहे हैं।

डॉक्टर ने बताया, ‘भट्टाचार्य (79) खतरे से बाहर हैं क्योंकि आज उनकी सभी जांच सामान्य पायी गयीं। उनके रक्त में ऑक्सीजन स्तर में सुधार हुआ है। उनके फेफड़ों में संक्रमण की गंभीरता अब कम है। उन्हें आवश्यक दवाएं दी जा रही हैं। हम उनकी स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं।’

उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री का इलाज कर रही टीम इस बात पर फैसला ले सकती है कि उन्हें अस्पताल से कब छुट्टी दी जाए।

भट्टाचार्य को सांस लेने में समस्या के कारण अलीपुर के वुडलैंड्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनमें श्वसन नली के निचले भाग में संक्रमण और 'टाइप-2' श्वसन संबंधी परेशानी की पुष्टि हुई थी। वह काफी समय से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और उम्र संबंधी स्वास्थ्य जटिलताओं से जूझ रहे हैं।

भट्टाचार्य ने पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योति बसु के स्थान पर 2000 में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। वह 2011 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। उसी दौरान उद्योगों के लिये भू अधिग्रहण को लेकर ममता बनर्जी की अगुवाई में आंदोलन हुआ था।

वर्ष 2011 में राज्य की सत्ता गंवाने के बाद भट्टाचार्य नीत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सत्ता में दोबारा वापसी नहीं कर पाई। राज्य में माकपा के 34 वर्षों के शासन को खत्म कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सत्ता में आई और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी।

पिछले कुछ वर्षों से भट्टाचार्य खराब स्वास्थ्य के कारण सामाजिक जीवन से दूर थे। वह अपने पाल एवेन्यू अपार्टमेंट में ही रहते थे।

उन्हें सार्वजनिक रूप से आखिरी बार तब देखा गया था जब वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वाम दल की रैली में अचानक पहुंच गए थे और वह तब भी ऑक्सीजन प्रणाली सपोर्ट पर थे।

उन्होंने 2015 में माकपा की पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी से इस्तीफा दे दिया था और फिर 2018 में पार्टी के राज्य सचिवालय की सदस्यता भी छोड़ दी थी।

 

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