September 24, 2024

सुप्रीम कोर्ट से भी मुस्लिम पक्ष को झटका, ज्ञानवापी में जारी रहेगा ASI सर्वे

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नईदिल्ली

ज्ञानवापी परिसर के एएसआई से सर्वे पर रोक की मांग करने वाले मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने एएसआई की ओर से सर्वे जारी रखने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विवादित ढांचे को छुआ न जाए और वहां खुदाई न हो। हमने सभी पक्षों को सुना है। हाई कोर्ट ने एएसआई के अडिशनल डायरेक्टर की अंडरटेकिंग ली है। ऐसे में उसका फैसला सही लगता है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले पर सहमति जताई।

मुस्लिम पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि एएसआई ने तो राम मंदिर विवाद में भी सर्वे किया था। आखिर एएसआई का सर्वे होने से दिक्कत क्या है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सर्वे से परिसर को कोई नुकसान न हो। बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत ने एएसआई से सर्वे कराने का आदेश दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। इसके बाद अब उच्चतम न्यायालय ने भी इस पर मुहर लगा दी है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष के वकीलों से पूछा कि हमें यह बताएं कि आखिर सर्वे से क्या दिक्कत होगी? इससे ऐसा क्या नुकसान हो सकता है, जिसकी भरपाई न हो सके?

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एएसआई पहले ही बता चुका है कि वहां कोई खुदाई नहीं होगी। अदालत भी यही सुनिश्चित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से यही कहना है कि सर्वे के दौरान विवादित परिसर को कोई नुकसान न पहुंचे। इस दौरान अदालत में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का भी जिक्र हुआ। पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ज्ञानवापी में आखिर त्रिशूल क्यों है, वहां देव प्रतिमाएं क्यों नजर आती हैं। यही नहीं उन्होंने कहा था कि इस मामले में मुस्लिम पक्ष को ही प्रस्ताव लाना चाहिए और ऐतिहासिक भूल मानते हुए उसका समाधान होना चाहिए।

मुस्लिम पक्ष बोला- सर्वे से उभर आएंगे पुराने जख्म

इस दौरान मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने कहा कि सर्वे होगा तो फिर इतिहास के पुराने जख्म सामने आएंगे। वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने कहा कि एएसआई के सर्वे में इतिहास के तथ्यों को खोदकर निकाला जाएगा। इससे पुराने जख्म फिर से सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि यह तो 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट का भी उल्लंघन है। यही नहीं देश में सेक्युलरिज्म को भी इससे नुकसान पहुंचेगा। इस पर अदालत ने कहा कि आप एक ही तर्क के आधार पर हर चीज का विरोध नहीं कर सकते।

 

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