सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया को झटका, अंतरिम जमानत पर आदेश देने से इनकार
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि उनकी पत्नी की हालत फिलहाल स्थिर है। हालांकि कोर्ट सितंबर को दोबारा उनके अनुरोध पर विचार करने पर सहमत हो गया है। इसके अलावा कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अगली तारीख तक यह बताने को कहा है कि सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मनी ट्रेल कैसे स्थापित होता है। सिसोदिया पर शराब नीति में घोटाला करने का आरोप है। जिसकी जांच सीबीआई और ईडी कर रही है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने सिसौदिया की पत्नी के मेडिकल रिकॉर्ड को देखा और कहा कि वह 'स्थिर' हैं। ऐसे में वह मामलों में नियमित जमानत याचिकाओं के साथ-साथ पूर्व डिप्टी सीएम की अंतरिम जमानत याचिका पर भी विचार करेगी। सिसेदिया ने अपनी पत्नी की खराब सेहत के आधार पर अंतरिम जमानत की मांग की है। शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई को सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिका पर सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा था।
दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे सिसोदिया के पास कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। जिसमें एक्साइज विभाग भी था। सीबीआई ने उन्हें 26 फरवरी को घोटाले में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। इसके बाद ईडी ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद 9 मार्च को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उपमुख्यमंत्री और उत्पाद शुल्क मंत्री होने के नाते, वह एक 'हाई-प्रोफाइल' व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इसके बाद तीन जुलाई को, हाईकोर्ट ने आप सरकार की उत्पाद शुल्क नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, यह मानते हुए कि उनके खिलाफ आरोप 'बहुत गंभीर प्रकृति' के हैं।