ब्रेस्टफीडिंग से बचा सकते हैं सालाना ₹875 करोड़ – एक्सपर्ट
नई दिल्ली
हर साल 1-7 अगस्त के बीच वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। सरकार की तरफ से लोगों को अलग-अलग माध्याम से ब्रेस्ट फीडिंग के फायदे बताए जाते हैं। हालांकि, अभी भारत में ब्रेस्टफीडिंग की दर कम है। एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार, लगभग 90% महिलाएं अस्पताल में बच्चों को जन्म देती है। लेकिन, जन्म के पहले घंटे में सिर्फ 41.8% महिलाएं अपने बच्चों ब्रेस्ट फीडिंग करवा पाती हैं। हालांकि, 0-6 महीने के दौरान 63.7% बच्चों को केवल स्तनपान कराया जाता है, जिसमें वृद्धि देखी गई है। लेकिन, केवल 45.9% बच्चे ही 6-8 महीने के बीच स्तनपान जारी रख पाते है। ऐसे में इन बच्चों को ठोस आहार शुरू करना पड़ता हैं।
ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया (बीपीएनआई) के अनुसार, भारत में पर्याप्त मात्रा में ब्रेस्टफीडिंग ना होने की वजह से एक लाख बच्चों की मौत हो जाती है। जिसका मुख्य कारण है, दस्त और निमोनिया। इस दौरान देखा गया है कि 3.47 करोड़ मामले दस्त से पीड़ित बच्चों के होते हैं। वहीं, 0.24 करोड़ मामले निमोनिया के और 40,382 मामले मोटापे के। इसकी वजह से माताओं के सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। ब्रेस्ट फीडिंग न करवाने की वजह से 7 हजार से अधिक ब्रेस्ट कैंसर के मामले, 1700 मामले डिम्बग्रंथि के और टाइप-2 डायबिटीज के 87 हजार मामले होते हैं। भारत में इन बीमारियों पर हर साल 875.84 करोड़ रुपये खर्च होते है। अगर, ब्रेस्ट फीडिंग को लेकर जागरूकता और बढ़ाई जाए, तो करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं।
महिलाओं को जागरूक करने पर जोर
जरूरी है कि महिलाओं को मदर बीमा एक्ट के बारे में जागरूक किया जाए। अधिकतर महिलाओं के इसके बारे में पता नहीं है, जिसकी वजह से वह अपने अधिकारों से दूर रहती हैं। इस अधिनियम के तहत माताओं को 26 सप्ताह का सवैतनिक मातृत्व अवकाश, साथ ही कोई भी महिला 80 दिनों से ज्यादा अधिक समय तक काम किया है, वह सभी मातृत्व का लाभ उठा सकती हैं। इसके अलावा, 50 से अधिक कर्मचारियों वाले कंपनी में क्रेच की सुविधा होनी चाहिए। साथ ही इस क्रेच में चार बारे जाने की अनुमति होती है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
फोर्टिस अस्पताल के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ.अरुण कुमार के मुताबिक, किसी भी बच्चे के लिए मां का दूध काफी लाभदायक होता है। खासकर, जन्म के एक घंटे के भीतर वाला दूध। मां के दूध में कई तरह के न्यूट्रिशंस होते हैं, जिसे पीने के बाद बच्चों की बॉडी अच्छे से विकसित होती है। साथ ही कई तरह की बीमारी और इंफेक्शन से भी बचाती है। अगर, बच्चा किसी भी वजह से मां का दूध नहीं पी रहा है और उसकी जगह पर पैकेट या अन्य दूध पी रहा है, तो उसकी सेहत पर इसका बुरा असर पड़ेगा। इसलिए, हर मां को अपने बच्चों को छह साल तक ब्रेस्ट फीडिंग करानी चाहिए।