November 28, 2024

भारत के सिरप पर अब इराक में बवाल, डब्ल्यूएचओ ने क्या अलर्ट जारी किया

0

बेंगलुरु

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अब एक और भारतीय कफ सिरप (पैरासिटामोल और क्लोरफेनिरामाइन) को लेकर अलर्ट जारी किया है. संगठन ने इराक में  सामान्य सर्दी जुकाम वाली इस सिरप के एक बैच का 10 जुलाई को सैंपल लिया था, जिसे जांच के लिए लैब में भेजा गया था. जांच में यह सैंपल फेल हो गया. पता चला है कि भारत में बनने वाली सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा ज्यादा पाई गई, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक है. बैच में जो सिरप थीं, उसमें 0.25 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल और 2.1 प्रतिशत एथिलीन ग्लाइकॉल था.

मानक से कई गुना ज्यादा मात्रा में मिला कैमिकल

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को बताया कि सिरप का निर्माण फोर‌र्ट्स (इंडिया) लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से डैबीलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के लिए किया गया था. उसने कहा कि किसी सीरप में एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल दोनों की तय सीमा 0.10 प्रतिशत तक है. इसके अलावा निर्माता-विक्रेता ने उत्पाद को लेकर डब्ल्यूएचओ को सुरक्षा और गुणवत्ता की गारंटी नहीं दी है.

न करें सिरप का इस्तेमाल, मौत तक हो सकती है

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस सिरप का इस्तेमाल करना असुरक्षित है. इसके इस्तेमाल से किसी की तबीयत गंभीर रूप से खराब हो सकती है या फिर उसकी मृत्यु भी हो सकती है. फिलहाल कंपनियों की ओर से इस संबंध में कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है.

डब्ल्यूएचओ ने पिछले साल सितंबर में कहा था कि हरियाणा में बनने वाली मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के चार उत्पाद भी जांच के दायरे में हैं. वहीं, दिसंबर 2022 में डब्लूएचओ ने यूपी में बनने वाले बायोटेक प्राइवेट के दो प्रोडक्ट्स को लेकर अलर्ट जारी किया था. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने पंजाब में बनने वाली क्यूपी फार्माकेम लिमिटेड द्वारा निर्मित एक कफ सिरप को इस साल अप्रैल में हरी झंडी दिखाई थी.

बिना प्रमाण पत्र 6,500 दवा फैक्टरियां कर रहीं काम!

स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने इस हफ्ते की शुरुआत में बताया था कि देश में 10,500 दवा फैक्टरियों में 8,500 एमएसएमई श्रेणी के तहत आती हैं. हैरानी की बात यह है कि इनमें से केवल दो हजार फैक्टरियों के पास ही डब्ल्यूएचओ का अच्छी विनिर्माण प्रथाएं (जीएमपी) प्रमाणपत्र मौजूद है. 6,500 दवा फैक्टरियों के पास यह प्रमाणपत्र नहीं है. दवाओं की बेहतर गुणवत्ता के लिए यह प्रमाण होना बहुत जरूरी है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *