शरद पवार का खुलासा : ‘बाबरी गिरने से पहले मैंने नरसिम्हा राव को कहा था, BJP पर मत करें भरोसा’
मुंबई
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने खुलासा किया कि रामजन्मभूमि आंदोलन जब जोर पकड़ रहा था तब उन्होंने तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव को सलाह दी थी कि उन्हें बीजेपी के वादे पर भरोसा नहीं करना चाहिए कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा. शरद पवार ने कहा कि तब तत्कालीन बीजेपी नेता विजया राजे सिंधिया ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को आश्वासन दिया था कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा. राव ने अपने मंत्रियों की सलाह के खिलाफ उनकी बात पर विश्वास किया था. शरद पवार नरसिम्हा राव सरकार में रक्षा मंत्री थे.
सीनियर पत्रकार नीरजा चौधरी की किताब 'हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड' के विमोचन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय रक्षा मंत्री रहे पवार ने कहा कि वह तत्कालीन गृह मंत्री शंकरराव चव्हाण और गृह सचिव माधव गोडबोले के साथ उस बैठक में मौजूद थे. पवार ने दावा किया कि उस बैठक में विजया राजे सिंधिया ने तत्कालीन पीएम राव को आश्वासन दिया था कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा.
एनसीपी सुप्रीमो ने कहा कि गृहमंत्री और गृह सचिव को लगा कुछ भी हो सकता है, लेकिन नरसिम्हा राव ने सिंधिया पर विश्वास करना चुना.
शरद पवार ने उस घटनाक्रम को इस प्रकार बताया. "मंत्रियों का एक समूह था, उस समूह का मैं एक सदस्य था. इस मीटिंग में विजया राजे सिंधिया ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को कुछ नहीं होगा, विजया राजे ने कहा था कि वे लोग सभी जरूरी कदम उठाएंगे और पीएम को सख्त कदम नहीं उठाने चाहिए."
एनसीपी चीफ ने कहा कि विजया राजे का सुझाव पीएम नरसिम्हा राव ने स्वीकार कर लिया, इसके बाद गृह मंत्री, गृह सचिव और स्वयं शरद पवार ने पीएम नरसिम्हा राव को सलाह दी थी कि उन्हें बीजेपी नेतृत्व की बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, कुछ भी हो सकता है. शरद पवार ने कहा कि पीएम ने बीजेपी नेताओं की बात पर भरोसा करना पसंद किया और इसके बाद क्या हम सभी जानते हैं.
कार्यक्रम के दौरान पत्रकार नीरजा चौधरी ने मस्जिद विध्वंस के बाद राव की कुछ वरिष्ठ पत्रकारों के साथ हुई बातचीत को याद किया, जहां प्रधानमंत्री से पूछा गया था कि विध्वंस के समय वह क्या कर रहे थे.
चौधरी ने दावा किया कि राव ने पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने ऐसा होने दिया क्योंकि इससे एक गंभीर घाव खत्म हो जाएगा और उन्हें लगा कि भाजपा अपना मुख्य राजनीतिक कार्ड खो देगी. इस पुस्तक के विमोचन में शरद पवार के अलावा, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, कांग्रेस नेता शशि थरूर, पूर्व रेल मंत्री और भाजपा नेता दिनेश त्रिवेदी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण मौजूद रहे.
इस कार्यक्रम का संचालन सीनियर पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने किया. वहीं दिनेश त्रिवेदी ने प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी के समय और उनके प्रमुख सलाहकारों में से एक अरुण नेहरू की भूमिका को याद किया. त्रिवेदी ने कहा, "अरुण नेहरू परिवार की तरह थे… वह सबसे अच्छे दौर में से एक था और अगर यह जारी रहता तो चीजें बहुत अलग होती."
पृथ्वीराज चव्हाण बोले- अन्ना आंदोलन को नहीं संभाल पाए
मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि अन्ना हजारे आंदोलन को ठीक से नहीं संभाल पाना, कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पतन का कारण बना. उन्होंने कहा, "सरकार के पतन का कारण पहले हुए घोटाले, 2जी… हमने अन्ना आंदोलन को ठीक से नहीं संभाला, इसी वजह से कांग्रेस सरकार का पतन हुआ." उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आम सहमति बनाने में अच्छे थे और उन्होंने परमाणु समझौते का भी उल्लेख किया.
नीरजा चौधरी की पुस्तक में किन प्रधानमंत्रियों का जिक्र?
नीरजा चौधरी की पुस्तक ऐतिहासिक महत्व के छह निर्णयों से देश के प्रधानमंत्रियों की कार्यशैली का विश्लेषण करती है. 1977 में आपातकाल के बाद अपनी अपमानजनक हार के बाद 1980 में पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी, शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करने का राजीव गांधी का निर्णय, वीपी सिंह द्वारा मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करना, प्रधान मंत्री के रूप में पीवी नरसिम्हा राव की भूमिका पुस्तक में चर्चा किए गए विषयों में बाबरी मस्जिद घटना और अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकारें शामिल हैं.