पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था कराची बंदरगाह को यूएई के पास गिरवी रखने की नाकाम कोशिश
कराची
चौतरफा मुश्किलों में घिरे पाकिस्तान को अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अपनी संपत्ति दांव पर लगानी पड़ रही है लेकिन यहां भी उसे मनचाहा दाम नहीं मिल पा रहा. संयुक्त अरब अमीरात ने पाकिस्तान को ऑफर दिया है कि वो कराची बंदरगाह के दो टर्मिनलों का अधिकार उसे दे दे, बदले में वो उनका विकास करेगा और पाकिस्तान को 25 सालों के बीच 1.2 अरब डॉलर देगा. हालांकि, पाकिस्तान ने यूएई के इस ऑफर को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है.
पाकिस्तान का कहना है कि यूएई की तरफ से मिलने वाली 1.2 अरब डॉलर की रकम काफी कम है और समय के साथ इस पैसे का मूल्य बेहद कम होता जाएगा.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने बताया है कि अंतर-सरकारी वाणिज्यिक लेनदेन पर कैबिनेट समिति (CCoIGCT) ने कराची बंदरगाह के पूर्वी तट पर दो कार्गो टर्मिनलों के विकास के लिए यूएई की पेशकश की समीक्षा की है.
यूएई से फिर से बातचीत करेगा पाकिस्तान
यूएई से वार्ता करने वाली समिति के एक सदस्य ने कहा कि यूएई की पेशकश का शुद्ध वर्तमान मूल्य लगभग 1.2 अरब डॉलर है जो कि सरकार की अपेक्षाओं से काफी कम है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट समिति ने समुद्री मामलों के मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वो यूएई के अधिकारियों से फिर से बातचीत करे और उन्हें कीमत बढ़ाने के लिए कहे.
टर्मिनल विकसित करने का यह समझौता कराची पोर्ट ट्रस्ट (KPT) और अबू धाबी (AD) पोर्ट्स, यूएई के बीच हो रहा है. अबू धाबी पोर्ट्स कराची बंदरगाह के पूर्वी तट पर बल्क और जनरल कार्गो टर्मिनल को अपने अधिकार में लेकर उसका विकास करना चाहता है.
पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के अनुसार, CCoIGCT ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते पर 4-5 अगस्त 2023 को समीक्षा बैठक की थी.
वित्त मंत्रालय ने कहा, 'CCoIGCT ने वार्ता समिति को निर्देश दिया है कि वो उसकी तरफ से प्रस्तावित शर्तों में सुधार के लिए यूएई के अबू धाबी पोर्ट्स के साथ फिर से बातचीत करे.'
पाकिस्तान को और कम पैसे दे रहा था यूएई
पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि यूएई ने पहले इस सौदे के लिए महज 80 करोड़ डॉलर से कुछ अधिक की ही पेशकश की थी. हालांकि, बाद में यूएई अधिकारियों ने अपनी पेशकश में 35 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी की. पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का यह भुगतान 25 सालों की अवधि में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऑफर का मौजूदा मूल्य बमुश्किल 5 करोड़ डॉलर प्रति वर्ष है और बाद में इस पैसे का मूल्य घटता जाएगा.
पाकिस्तान की सरकार चाहती तो अपने बंदरगाह का नियंत्रण यूएई को सौंपने के लिए बोली भी लगा सकती थी. यह अपेक्षाकृत पारदर्शी तरीका होता और इससे पाकिस्तान को काफी अच्छा पैसा मिलता लेकिन उसने यूएई से बातचीत के जरिए इस समझौते को करने का फैसला किया है.
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार इस समझौते पर जल्दबाजी कर रही है क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने घोषणा की है कि वो बुधवार को नेशनल असेंबली भंग कर देंगे.
पाकिस्तान ने पिछले महीने ही दो और कराची बंदरगाह के टर्मिनलों को सौंपने के लिए यूएई के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दी थी. इसमें कराची बंदरगाह पर एक नए बहुउद्देशीय कार्गो टर्मिनल का विकास करना भी शामिल था.
इसके बाद से यह दूसरा बड़ा बंदरगाह टर्मिनल सौदा होगा जिस पर पाकिस्तान दो महीने से भी कम समय में यूएई के साथ समझौता करेगा.
घाटे में चल रहा कराची पोर्ट ट्रस्ट
कराची पोर्ट ट्रस्ट यूएई को सौंपे जाने वाले इन दो टर्मिनलों से हर साल लगभग 3.1 अरब रुपये राजस्व कमाता है. इन दोनों टर्मिनलों के परिचालन का खर्च 67.5 करोड़ रुपये है. ट्रस्ट में इन दोनों टर्मिनलों के निर्माण के लिए साल 2016 में विश्व बैंक से कर्ज लिया था. ट्रस्ट विश्व बैंक को हर साल लगभग 3 अरब रुपये कर्ज के ब्याज के रूप में दे रहा है.
पाकिस्तानी समुद्री मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, ब्याज और परिचालन लागत का भुगतान करने के बाद कराची पोर्ट ट्रस्ट लगभग 57.5 करोड़ रुपये घाटे में चल रहा है. इसे देखते हुए सरकार ने दोनों टर्मिनलों को यूएई को देने का फैसला किया है.