दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत: RBI गवर्नर
नईदिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक ने वीरवार को लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न लोग पर मासिक किस्त (EMI) में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
वहीं चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।''
उन्होंने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति ने सभी परिस्थितियों में गौर करने के बाद रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है।'' रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई ने जून और अप्रैल की पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में भी रेपो दर में बदलाव नहीं किया था। इससे पहले, मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के मामले में अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में, मौजूदा परिस्थतियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई
हमारी अर्थव्यवस्था उचित गति से बढ़ती रही है और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और वैश्विक विकास में लगभग 15% का योगदान दे रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष मुद्रास्फीति, भूराजनीतिक अनिश्चितता तथा प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों की चुनौतियां है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजमर्रा के उपभोग के सामान की बिक्री बढ़ी, जो ग्रामीण मांग में सुधार का संकेत, खरीफ की कटाई के साथ यह और सुधरेगी।
गवर्नर ने कहा कि वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का प्रवाह इस साल बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपये हुआ। पिछले साल यह 5.7 लाख करोड़ रुपये था। आगामी त्योहारों के दौरान निजी उपभोग तथा निवेश गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत किया। दूसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.2 प्रतिशत, तीसरी में 5.7 प्रतिशत और चौथी में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
गवर्नर ने कहा कि 2 हजार का नोट वापस लेने, सरकार को लाभांश की वजह से अधिशेष तरलता का स्तर बढ़ा है। चालू खाते का खाता काफी हद तक प्रबंधन के दायरे में। इसे सेवा निर्यात और विदेश में रहने वाले भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले धन से मदद मिलेगी । अप्रैल-मई के दौरान शुद्ध रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) गिरकर 5.5 अरब डॉलर हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 10.6 अरब डॉलर था।
क्या है Repo Rate?
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को लोन देता है। रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। रेपो रेट के कम होते ही बैंकों से लोन लेने वाली की EMI भी कम हो जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई में भी इजाफा हो जाता है। जब देश में महंगाई आरबीआई के तय दायरे से बाहर जाती है, तो फिर इसे कम करने के उद्देश्य से रेपो रेट में इजाफे का फैसला लिया जाता है।
रुपया शुरुआती कारोबार में पांच पैसे चढ़कर 82.80 प्रति डॉलर पर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में रुपया पांच पैसे चढ़कर 82.80 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। विश्लेषकों का कहना है कि स्थानीय शेयर बाजारों में कमजोरी के रुख और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से रुपये का लाभ सीमित रहा। बाजार भागीदारों को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजों का इंतजार है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.81 पर खुला और फिर 82.80 पर पहुंच गया। यह पिछले बंद भाव की तुलना में पांच पैसे की बढ़त है। बुधवार को रुपया 82.85 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.02 प्रतिशत गिरकर 102.47 पर आ गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.14 प्रतिशत के नुकसान से 87.43 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।