September 29, 2024

इंक्रीमेंटल सीआरआर से तंत्र से 95 हजार करोड़ निकलेगा आरबीआई, डिजिटल भुगतान की सीमा बढ़कर 500 रुपये

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मुंबई
 रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दो हजार रुपये के नोटों के बदलने से तंत्र में आई अधिक तरलता को सोखने के लिए बैंकों को इंक्रीमेंटल नकद आरक्षी अनुपात (आईसीआरआर) को 10 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्देश दिया है, जिससे तंत्र से 95 हजार करोड़ रुपये वापस आने की उम्मीद है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने  मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक बैठक के बाद कहा, “हाल के वर्षों में तरलता पर हमारा घोषित रुख अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तत्र में पर्याप्त तरलता बनाए रखना है। वहीं, दूसरी ओर अत्यधिक तरलता मूल्य स्थिरता और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। इसलिए, कुशल तरलता प्रबंधन के लिए अधिशेष तरलता के स्तर के निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता होती है ताकि अत्यधिक तरलता को सोखने के लिए आवश्यक होने पर अतिरिक्त उपाय किए जा सकें।

इन परिस्थितियों के आलोक में यह निर्णय लिया गया है कि 12 अगस्त, 2023 से शुरू होने वाले पखवाड़े से अनुसूचित बैंक 19 मई से 28 जुलाई 2023 के बीच अपनी शुद्ध मांग और ससमय देनदारियों (एनडीटीएल) में वृद्धि पर 10 प्रतिशत का आईसीआरआर बनाए रखेंगे। इस उपाय का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में 2000 रुपये के नोटों की वापसी सहित पहले विभिन्न कारकों द्वारा उत्पन्न अधिशेष तरलता को सोखना है।
दास ने कहा कि तरलता की अधिकता के प्रबंधन के लिए यह पूरी तरह से एक अस्थायी उपाय है। इस अस्थायी रोक के बाद भी अर्थव्यवस्था की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तंत्र में पर्याप्त तरलता बनी रहेगी। हालांकि सोखी गई धनराशि को त्योहारी सीजन से पहले बैंकिंग प्रणाली में वापस करने की दृष्टि से आई-सीआरआर की समीक्षा 08 सितंबर, 2023 या उससे पहले की जाएगी। वहीं, सीआरआर 4.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेगा।

 

छोटे डिजिटल भुगतान की सीमा बढ़कर 500 रुपये : आरबीआई

मुंबई
 रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा देने के लिए छोटे डिजिटल भुगतान की सीमा 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन कर दी है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने  मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक बैठक के बाद कहा कि नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) और यूपीआई लाइट सहित ऑफलाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान के लिए आरबीआई ने प्रति लेनदेन 200 रुपये की सीमा और 2000 रुपये की समग्र सीमा निर्धारित की है। इस मोड से लेनदेन का चलन तेजी से बढ़ने के बाद से लगातार ट्रांजेक्शन सीमा में बढ़ोतरी किये जाने की मांग होती रही है।

भुगतान के इस तरीके को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करने और अधिक उपयोग के मामलों को इस मोड में लाने के लिए अब प्रति ट्रांजेक्शन सीमा को बढ़ाकर 500 रुपये करने का प्रस्ताव है। हालांकि, दो-कारक प्रमाणीकरण में छूट से जुड़े जोखिमों को रोकने के लिए कुल सीमा 2000 रुपये पर बरकरार रखी गई है। इस संबंध में जल्द ही निर्देश जारी किये जायेंगे।

दास ने कहा कि यूपीआई-लाइट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) तकनीक का उपयोग करके ऑफलाइन लेनदेन की सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव है। यह सुविधा न केवल उन स्थितियों में खुदरा डिजिटल भुगतान को सक्षम करेगी जहां इंटरनेट और दूरसंचार कनेक्टिविटी कमजोर है या उपलब्ध नहीं है बल्कि यह गति भी सुनिश्चित करेगी। इस संबंध में एनपीसीआई को जल्द ही निर्देश जारी किए जाएंगे।

इसके अलावा यूपीआई पर एक नया भुगतान मोड यानी ‘बातचीत भुगतान’ सेवा लॉन्च करने का प्रस्ताव है। यह यूजरों को सुरक्षित वातावरण में लेनदेन शुरू करने और पूरा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)-संचालित प्रणाली के साथ बातचीत में शामिल होने में सक्षम करेगा।

यह सुविधा स्मार्टफोन और फीचर फोन आधारित यूपीआई चैनल दोनों में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे देश में डिजिटल पैठ को मजबूत करने में मदद मिलेगी। शुरुआत में यह सुविधा हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध होगी और बाद में इसे और अधिक भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा। इस संबंध में एनपीसीआई को जल्द ही निर्देश जारी किए जाएंगे।

 

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