13 अगस्त 1942: कटिहार के 13 सपूतों ने एक साथ हंसते-हसंते दे दी कुर्बानी, क्रांतिकारियों के दहाड़ से थर्रा उठे अंग्रेज
पटना
13 अगस्त का दिन राष्ट्र ही नहीं कटिहार के लिए भी कई मायने रखता है। 13 अगस्त 1942 को 13 वर्षीय बालक ध्रुव कुंडू के साथ कटिहार के 13 वीर जवानों ने भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए अपनी प्राणों को हंसते-हसंते न्यौछावर कर दी थी। इस दिन आज का नगर निगम जहां उस समय रजिस्ट्री कार्यालय हुआ करता था वाली जगह पर बालक ध्रुव और उनके साथियों व अन्य क्रांतिकारियों के दहाड़ से अंग्रेज थर्रा उठे।
इतनी छोटी सी उम्र में देश के लिए मर मिटने की ध्रुव का जजबा को देख अंग्रेंज सोच में पड़ गये थे। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ था कि आखिर बालक की देश प्रेम की हठ को कैसे कम करें। जब अंग्रेजों की कोई मानसिक सोच और विचार काम नहीं आया तो गोलियों का सहारा लिया और आज के शहीद चौक के पास अस्पताल रोड की तरफ से आ रहे बालक ध्रुव कुंडू सहित 13 आजादी के दीवानों पर गोलियां बरसाने लगे। जिसमें सभी 13जावान शहीद हो गये थे। इस घटना ने अंग्रेजों की ताकत कमजोर कर दी और धीरे-धीरे अंग्रेज भारत से जाने का मुड बना लिया और इस घटना के पांच साल बाद 15 अगस्त को अंग्रेज भारत छोड़ चले गये और हमारा देश आजाद हो गया।
बालक ध्रुव चकमता ध्रुवतारा बन गया
बालक ध्रुव बन गया था चमकता ध्रुव तारा वैसे तो 13 अगस्त 1942 को कटिहार में 13 वीर जवानों ने अपनी शहादत दी थी । मगर महज 13 वर्ष की उम्र में अपनी शहादत देने वाले बालक ध्रुव कुमार कुंडू का नाम काफी आगे है। भारत के इतिहास में कटिहार का बालक ध्रुव चकमता ध्रुवतारा बन गया। स्वतंत्रता सेनानी रहे नवल किशोर नीरज जो आज जीवित नहीं है के घर से मिली विभिन्न स्रोतों के आधार पर वीर शहीद बालक ध्रुव कुंडू का जन्म कटिहार के विनोदपुर में वर्ष 1929 में अगस्त माह में हुआ था।
महेश्वरी एकेडमी में 8वीं का छात्र था बालक ध्रुव कुंडू
जानकारी के अनुसार ध्रुव कुंडू पिता किशोरी लाल कुंडू और मां रीवंद्रवाला कुंडू के दूसरे पुत्र थे। बालक ध्रुव ने 1ली से 7वीं कक्षा तक रामकृष्ण मिशन कोलकाता में पढ़ाई की और परिजनों के कहने पर वर्ष 1942के पहले सप्ताह में बालक ध्रुव कटिहार पहुंचे। इस समय कक्षा आठ में उनका नामांकन कक्षा 8वीं में महेश्वरी अकादमी में हुआ था।