October 1, 2024

30 को मनाया जाएगा रक्षाबंधन, बहनें 31 को भी बांधेगीं राखी

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जयपुर
भाई- बहन का सबसे पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन इस बार एक के बजाय दो दिनों तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन इस साल 30 अगस्त को मनाया जाना है. लेकिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात से प्रारंभ होकर 31 अगस्त सुबह 7 बजे तक चलेगा. भद्रा होने की वजह से बहनें दिन में रक्षासूत्र नहीं बांध सकेंगीं. इसलिए इस साल दो दिन 30 और 31 अगस्त को राखी का त्यौहार मनाया जा रहा है. 31 तारीख को देशभर के देवालयों में राखी पर्व मनाया जाएगा.

इस बार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 30 अगस्त बुधवार को सुबह 10 बजकर 59 मिनिट से शुरू होगी. यह अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 6 मिनिट तक जारी रहेगी. पूर्णिमा की शुरुआत के साथ भद्रा सुबह 10 बजकर 59 मिनिट से बजे से शुरू होकर रात 9 बजे तक रहेगी. दिन में राखी बांधने का मुहूर्त नहीं रहेगा क्योंकि पंचाग के मुताबिक किसी पर्व पर भद्रा विशेष रूप से वर्जित बताई गई है. ऐसे में राखी बांधने का मुहूर्त 30 अगस्त को रात 9 बजे से  31 अगस्त सुबह 7 बजे तक ही रहेगा.

राजस्थान के देवालयों में 31 को मनाया जाएगा रक्षाबंधन का पर्व
31 अगस्त को सूर्योदय के बाद सिर्फ 57 मिनट ही पूर्णिमा रहेगी. ऐसे में भद्रा खत्म होने के बाद ही 31 अगस्त को मंदिरों में भगवान को राखी बांधी जाएगी. आमतौर पर लोग भगवान के दर्शन और रक्षासूत्र अर्पित करने के बाद ही पर्व मनाते हैं. जयपुर में इस्कॉन मंदिर और अक्षयपात्र मंदिर के साथ ही राजस्थान के सभी बड़े मंदिर जैसे- नाथद्वारा, सालासर बालाजी, वृंदावन सहित अन्य मंदिरों में 31 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. मंदिर प्रबंधनों के मुताबिक भद्राकाल खत्म होने के बाद ही राखी बांधी जा सकती है. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त भगवान के समक्ष रक्षासूत्र अर्पित करेंगे. मंदिरों में सोने—चांदी की विशेष झांकियां आकर्षण का केंद्र होगी.

क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन?
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन को भाई- बहन के प्यार का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इसे हर साल हिंदू पंचांग के मुताबिक सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं, जबकि भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं. एक- दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और उपहार भी देते हैं. रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने के पीछे बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.

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