November 27, 2024

इन 15 गांवों में करते हैं प्रार्थना, हे भगवान! यहां झमाझम बारिश मत करना, जानें क्यों

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लखनऊ
यूं तो बारिश का मौसम सभी को सुहावना लगता है। गर्मी से परेशान लोग बारिश का बेसब्री से इंतजार करते हैं। किसान भी फसल की अच्छी पैदावार के लिए भगवान से अच्छी बारिश की दुआ करता है लेकिन मेरठ जिले के करीब 15 से अधिक गांवों के किसान नहीं चाहते कि उनके इलाके में अच्छी बारिश हो। इसके पीछे कारण यहां बारिश के बाद होने वाली परेशानियां हैं। यहां अधिक बारिश होती है तो चौया उफन (धरती का जलस्तर) जाता है। इसके बाद हजारों बीघा खेत महीनों तक पानी से लबालब रहते है और किसानों की खेतों में फसल पानी में सड़कर खराब होती है।

बारिश होते ही उफन जाता है जलस्तर
मेरठ के जानी क्षेत्र के करीब 15 से 20 गांवों को चौया का जंगल कहा जाता है। मेरठ जिले समेत पश्चिमी यूपी के जिलों में जहां 150 से 400 फुट नीचे तक पानी है, वहीं इन गांवों के जंगल में 50 फुट तक पानी की आसान उपलब्धता रहती है। जैसे ही अच्छी बारिश होती है तो पानी उफनकर ऊपर आ जाता है और जंगलों में खेतों में भर जाता है। इसके बाद जब तक जलस्तर नीचे नहीं गिरता, तब तक खेत पानी से लबालब भरे रहते हैं। ऐसे में पानी में फसलें खराब हो जाती हैं। पिछले दो से तीन दशकों से इस इलाके के किसान और ग्रामीण इससे परेशान हैं।
 

ये गांव हैं चौया का जंगल
जानी क्षेत्र के जानी, सिवालखास, कुराली नेक, अघेड़ा, गेझा, गून, ढढरा, खानपुर, महपा, सिसौला, पांचली, नंगला कुंभा, भोला, सतवाई, बहरामपुर, मोरना आदि गांवों के जंगल को चौया का जंगल कहते हैं। इन गांवों के किसान बारिश के मौसम में भगवान से दुआ करते हैं कि भारी नहीं, बस सामान्य बारिश हो।

नाला बने तो मिले समस्या से निजात
सामाजिक कार्यकर्ता रविभारत चिकारा, गेझा के किसान कपिल, गून के बिल्लू, सिवालखास चेयरमैन गुलजार चौहान, कुराली के संजय शर्मा, अघेड़ा के प्रमोद चौधरी बताते हैं कि चौया के जंगल के किसान पिछले दो से तीन दशकों से इस समस्या से ग्रस्त हैं। लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। बारिश में कभी-कभी तो गंगनहर एवं रजवाहे के आसपास का यह इलाका रजवाहा टूटने से भी जलमग्न हो जाता है। पानी निकासी के लिए नाला निर्माण की मांग कर चुके है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।

खेत लबालब, फसलें बर्बाद, टूटी सड़कें
चौया का जंगल पिछले करीब दो महीने से लबालब है। पानी के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं। गन्ना, धान, ज्वार की फसलें तो बर्बादी के कगार पर हैं। ज्वार की फसल गलकर खराब हो गई। पानी के कारण जानी-सिवाल मार्ग के साथ ही कुराली में मेरठ-बागपत मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया है।

 

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