लूना-25 के बाद चंद्रयान 3 पर सबकी निगाह, एक्सपर्ट्स ने बताया चांद अब कितनी दूर; ISRO ने समय भी अपडेट किया
नई दिल्ली
रूस के लूना-25 के क्रैश होने के बाद चंद्रयान-3 पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। इस बीच स्पेस रणनीतिकार पीके घोष ने चंद्रयान को लेकर बड़ा दावा किया है। पीके घोष ने कहा कि मेरा मानना है कि चंद्रयान 23 अगस्त को चंद्रमा पर अच्छी तरह से लैंड करेगा। वहीं, उन्होंने रूस के लूना 25 के क्रैश होने पर दुख भी जताया। उन्होंने कहा कि करीब 47 साल के बाद रूस ने लूना-25 लांच किया था। यह दिखाता है कि आपको स्पेस के मामले में कुछ भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। साथ ही घोष ने यह भी कहा कि चंद्रयान-3 मून की सबसे नजदीकी कक्षा से महज 25 किमी दूर रह गया है।
चंद्रयान के लिए यह उम्मीद
गौरतलब है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की दौड़ में रूस उस वक्त पीछे छूट गया, जब उसका रोबोट लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जबकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को 'सॉफ्ट लैंडिंग' कराने के लिए उसे कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है। इसरो ने रविवार को कहा कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के 'लैंडर मॉड्यूल' (एलएम) को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया, और इसके अब बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। इससे पहले, इसरो ने कहा था कि मॉड्यूल 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। वहीं, लूना-25 को विक्रम के लैंडिंग से दो दिन पहले 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरना था।
भारत का पिछला प्रयास रहा था नाकाम
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का भारत का पिछला प्रयास छह सितंबर 2019 को उस वक्त असफल हो गया था, जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के जरिये अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा। इसने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है। इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम का टेलीविजन पर 23 अगस्त को सीधा प्रसारण किया जाएगा, जो इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज, और डीडी (दूरदर्शन) नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर पांच बजकर 27 मिनट से शुरू होगा।
दक्षिणी ध्रुप को लेकर खास रुचि
गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है, जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है। चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है। केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं। हालांकि, ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे।