अग्निअस्त्र फसलों में लगने वाले कीटों को नियंत्रित करने का जैविक उत्पाद
भारतीय किसान संघ जिलाध्यक्ष व जैविक कृषि विशेषज्ञ बिहारीलाल साहू ने बनाया अग्निअस्त्र
डिंडोरी शहपुरा
जैविक खेती वर्तमान की मांग है जिसके लिए जन जागरूकता होनी चाहिए। जिला डिण्डोरी के जाने माने सुप्रसिद्ध जैविक कृषि विशेषज्ञ बिहारीलाल साहू जिला डिण्डोरी से लेकर विभिन्न जिलों में जिलाध्यक्ष खेती का प्रशिक्षण दे रहे है साथ ही स्वंय जैविक खेती के साथ जैविक उत्पाद भी बनाकर किसानों को उपलब्ध करवाते है ।
जैविक खेती को मिशन मूड में किसानों को प्रशिक्षण देने का कार्य बिहारी जी कर रहे है,वर्तमान समय खरीफ की चल रही है जिसमें ज्यादातर किसान धान के फसल लगाए है जिसमें कीटों का संक्रमण बढ रहा है जिसका रोकथाम किया जाना आवश्यक है नही तो फसल का उत्पादन कम होगा, इसलिए कीटों के रोकथाम के लिए जैविक विधि से निर्मित उत्पाद अग्निअस्त्र का उपयोग किसान फसलों में करेगें तो शत प्रतिशत परिणाम प्राप्त होगा ।
बिहारी जी अग्निअस्त्र का प्रायोगिक निर्माण कर रहे तथा किसानों को इसकी जानकारी भी देते है ।
फसलों को जैविक तरीका से बने उत्पाद अग्नि अस्त्र वही कम खर्चीली व आसान तरीका से किसान घर पर ही बनाकर फसलों को बाहरी कीटों के नुकसान से बचा सकते है और जिसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है।
वर्तमान समय में भारत सहित पूरी दुनिया रासायनिक के प्रभाव को कम करके जैविक खेती और जैविक उत्पाद की दिशा में तेजी से आंगे बढ़ रही है।
बिहारीलाल साहू जो कि एक किसान है और जैविक कृषि के जानकार है जिन्होंने बताया की जैविक विधि से बने उत्पाद अग्निअस्त्र को अपनाकर व घर में बनाकर उपयोग कर सकता है :-
अग्नी अस्त्र का फायदा :-
अग्नी अस्त्र का उपयोग तना कीट फलों में होने वाली सूंडी एवं इल्लियों के लिए किया जाता है।
बनाने की निर्माण सामग्री:-
20 लीटर गोमूत्र ,5 किलोग्राम नीम के पत्ते की चटनी,आधा किलोग्राम, तम्बाकू का पाउडर,आधा किलोग्राम हरी तीखी मिर्च 500 ग्राम देशी लहसुन की चटनी
बनाने की विधि
ऊपर लिखी हुई सामग्री को एक मिट्टी के बर्तन में डालें और गरम करें। चार बार उबाल आ जाने के बाद आग से उतार म कर ठंडा करें। आग से उतरने के बाद 48 घंटे छाए में रखें। 48 घंटे में चार बार डंडे से चलाएं। यह 48 घंटे में तैयार हो जाएगा।
भण्डारण एवं अन्य सावधानियां
अग्नी अस्त्र का प्रयोग भण्डारण करके केवल तीन माह तक कर सकते हैं। उबालने के लिए मिट्टी के बर्तन को ही लें। गोमूत्र धातु के बर्तन में न ले न ही भंडारित करे।
उपयोग
प्रति एकड़ के लिए 5 ली। अन्गी अस्त्र को छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे मशीन या नीम के लेवचा से छिड़काव करें।