अगस्त महीने में ही मंत्रिमंडल विस्तार को मूर्त रूप दिया जाएगा!
भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के विस्तार की चल रही सुगबुगाहट के बीच आज सुबह उनके निवास पर एक बार फिर से मंथन हुआ। जिसमें कुछ विधायकों पर असमंजस दिखाई दिया। जिसके चलते फिलहाल इस विस्तार को टाल दिया गया है। हालांकि यह तय माना जा रहा है कि इसी महीने मंत्रिमंडल विस्तार को मूर्त रूप दिया जाएगा।
मंत्रिमंडल विस्तार को फिलहाल टाले जाने के बाद मुख्यमंत्री छिंदवाड़ा की ओर रवाना हो गए हैं। आज सुबह मुख्यमंत्री निवास पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के बीच मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किए जाने वाले विधायकों को लेकर चर्चा हुई।
करीब आधा घंटे चली बैठक में गौरीशंकर बिसने और राजेंद्र शुक्ल के नाम तो फाइनल माने जा रहे हैं, लेकिन मंत्री बनने के अन्य दावेदार विधायकों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसमें क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को देखा जा रहा है। यह भी विचार किया जा रहा है कि क्या चुनाव की ठीक दो-ढाई महीने पहले इस तरह से कैबिनेट विस्तार किया जाना चाहिए या नहीं, और यदि किया जाना चाहिए तो जिन विधायकों को मंत्री बनाया जा रहा है, उससे उनकी जाति या क्षेत्र में क्या असर होगा। पार्टी इससे अपना नफा-नुकसार भी जोड़कर देख रही है।
पहली बार के विधायक पर अड़चन
सूत्रों की मानी जाए तो पहली बार के विधायक राहुल लोधी का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर विचार किया गया। राहुल बुंदेलखंड क्षेत्र से आते हैं और वे जिस लोधी समाज से हैं उसका प्रतिनिधित्व फिलहाल मंत्रिमंडल में नहीं है। लोधी समाज से ही जालम सिंह पटेल भी हैं जो पिछली बार सरकार में मंत्री थे। इसके अलावा ओबीसी की एक महिला विधायक के नाम भी इस चर्चा में शामिल रहा। जबकि एससी और एसटी के भी दो-दो विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर इन नेताओं के बीच में चर्चा हुई।
कैबिनेट में चार स्थान खाली, दर्जनों दावेदार
कैबिनेट विस्तार में असमंज की स्थिति दावेदारों की अधिक संख्या के कारण बनी है। दरअसल फिलहाल कैबिनेट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत 31 मंत्री हैं। जबकि कुल 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस तरह कैबिनेट में अब केवल चार स्थान खाली हैं। लेकिन मंत्री बनने वालों की संख्या दर्जनों में हैं। इनमें से कई बहुत सीनियर विधायक भी लंबे समय से मंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि अब चुनाव में बहुत अधिक समय शेष नहीं है, इसलिए बीजेपी की कोशिश यह है कि वह ऐसे लोगों को कैबिनेट में शामिल करे जिनका राजनीतिक रूप से लाभ भी बीजेपी को मिल सके। इसके लिए पार्टी क्षेत्र में पकड़ के साथ जातीय संतुलन को भी परख रही है।