हाथ ठेले पर पिता को लिटाकर 6 किलोमीटर तक ठेले को धकेलता रहा मजबूर बेटा
भिंड
भोपाल से चलकर सरकारी योजनाएं भिंड पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती हैं। ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ है जब भोपाल से योजनाएं शुरू की गई लेकिन भिंड में उन योजनाओं का ठीक ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो सका। सरकार की 108 एंबुलेंस योजना का भी भिंड जिले में यही हाल है, जिसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि एक गरीब लाचार बेटे को अपने बुजुर्ग पिता की तबीयत खराब होने पर अस्पताल पहुंचाने के लिए 6 किलोमीटर तक हाथ ठेला धकेलना पड़ा। मारपुरा गांव से निकलकर आया मामला भिंड जिले के मारपुरा गांव में रहने वाले हरि सिंह के पिता की मंगलवार को अचानक तबीयत खराब हो गई। हरि सिंह के बुजुर्ग पिता के रीढ़ की हड्डी में अचानक परेशानी आ गई। पिता दर्द से तड़पने लगा तो बेटा हरि सिंह भी पिता को देखकर बेचैन हो उठा। हरि सिंह को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर वह क्या करें।
पिता को अस्पताल ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस को लगाया फोन हरि सिंह अपने बीमार पिता को अस्पताल ले जाना चाहता था। हरि सिंह इतना गरीब है कि उसके पास खुद का मोबाइल तक नहीं है। हरि सिंह ने अपने एक पड़ोसी से मोबाइल मांगा और फिर 108 एंबुलेंस को फोन लगाकर बुलाने की कोशिश की, लेकिन बार-बार कोशिश करने के बाद भी एंबुलेंस हरि सिंह के पिता को लेने उसके घर तक नहीं पहुंच सकी। मजबूर बेटे ने पिता को हाथ ठेले में लिटा कर पहुंचाया अस्पताल हरि सिंह के लाख प्रयास के बावजूद जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो हरि सिंह परेशान हो उठा। उसकी जेब में इतने पैसे भी नहीं थे कि पिता के लिए कोई प्राइवेट एंबुलेंस मंगा लेता।
मजबूरी में हरि सिंह ने एक हाथ ठेले पर अपने पिता को लिटाया और 6 किलोमीटर तक हाथ ठेले को धकेल कर दबोह के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक लेकर आया और यहां अपने पिता का उपचार करवाया। 108 एंबुलेंस योजना की भिंड में है खस्ता हालत सरकार की 108 एंबुलेंस योजना की भिंड में खस्ता हालत है। पिछले दिनों एक ऐसा मामला सामने आया था, जब लहार विधानसभा के ही एक गांव में फोन करने के बावजूद एंबुलेंस प्रसूता के घर तक नहीं पहुंची। इसलिए प्रसूता को लोडिंग वाहन में रखकर अस्पताल तक लाया गया। प्रसूता ने रास्ते में एक बच्चे को जन्म दे दिया और दूसरा बच्चा होने पर प्रसूता नहीं बच्चे समेत दम तोड़ दिया था।