September 26, 2024

आयुर्वेद डॉक्टर आयुष विभाग की विश्वसनीयता बढ़ायें : राज्य मंत्री कावरे

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आयुष कार्यशाला संपन्न

भोपाल

आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रामकिशोर 'नानो' कावरे ने कहा है कि आयुर्वेद डॉक्टर श्रेष्ठ कार्य से समाज में आयुष विभाग की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिये बेहतर प्रदर्शन करें। आयुर्वेद दुनिया की 5 हजार वर्ष पुरानी चिकित्सा पद्धति है। कोरोना काल में जन-सामान्य ने प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये इसके महत्व को समझा है। राज्य मंत्री कावरे आज पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय भोपाल के सभागार में कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। देवारण्य योजना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय कुमार मिश्र भी मौजूद थे।

उपलब्धि

  •     550 आयुष औषधालय का उन्नयन
  •      10 जिलों में सुपर स्पेशियलिटी पंचकर्म सेंटर को मंजूरी
  •      562 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर संचालित
  •      75 आयुष ग्राम में विशेष स्वास्थ्य सेवा
  •      37 हजार परिवारों के करीब 2 लाख व्यक्तियों का स्वास्थ्य सर्वे
  •      देवारण्य योजना में जिला स्तरीय समितियों का गठन
  •      आयुष महाविद्यालयों में नवीन शोध के लिये विशेष व्यवस्था

आयुष राज्य मंत्री कावरे ने कहा कि मध्यप्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में आयुष विभाग की गतिविधियों का दायरा बढ़ाया गया है। विभाग को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराये हैं। विभाग के मैदानी अधिकारी नियमित भ्रमण कर जन-सामान्य को आसानी से चिकित्सा सेवा सुलभ करायें। आयुष हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर का नियमित संचालन सुनिश्चित किया जाये।

प्रमुख सचिव आयुष श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना काल में योग से निरोग कार्यक्रम के बेहतर परिणाम मिले। आयुक्त आयुष श्रीमती सोनाली वायंगणकर ने बताया कि अभी संचालित 562 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर की संख्या बढ़ाकर 800 की जा रही है। देवारण्य योजना और राष्ट्रीय आयुष मिशन के कार्यों पर भी चर्चा की गई।

किसानों की औषधीय पौधों की खेती में बढ़ी रुचि

बताया गया कि देवारण्य योजना से किसानों की औषधीय खेती की तरफ रुचि बढ़ी है। किसानों को औषधीय पौधों की कीमत अच्छी मिल सके, इसके लिये निजी कम्पनियों के साथ एमओयू किये गये हैं। चयनित क्षेत्रों में किसान संगठनों के सहयोग से हर्बल पार्क तैयार किये जा रहे हैं। ग्वालियर के ख्याति प्राप्त आयुर्वेदाचार्य डॉ. धर्मेन्द्र रिछारिया का उनके श्रेष्ठ कार्यों के लिये सम्मान किया गया। संचालन डॉ. शुचि दुबे मिश्रा ने किया।

 

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