स्नेह यात्रा में उमड़ रहा है जन-सैलाब, कल होगा समापन
भोपाल
स्नेह यात्रा का दसवां दिन
प्रदेश के सभी जिलों में 16 अगस्त से प्रतिष्ठित और पूज्य संतों के सान्निध्य में शुरू हुई स्नेह यात्रा अब पूरी होने को है। आखिरी दिन से एक दिन पहले यात्रा को जो जन-समर्थन और सहभागिता मिल रही है, वह अभूतपूर्व है। निर्धारित रास्तों के अतिरिक्त भी बड़ी संख्या में गाँव के लोग यात्रा में उत्साह से सहभागिता कर रहे हैं। सन्त कहते हैं कि प्रभु को सबसे प्रिय वे लोग हैं जो दुख और पीड़ा में हैं। इनका सान्निध्य प्रभु का सान्निध्य है। इनकी पीड़ा में सहभागी होना प्रभु सेवा ही है। इसलिए भारतीय संस्कृति में नर सेवा को नारायण सेवा का रूप माना गया है। प्रभु कहते हैं मोहे परम प्रिय खिन्न। स्नेह यात्रा सभी वर्गों को समरसता के भाव से एक सूत्र में पिरोने का महत्वपूर्ण प्रयास है।
लाड़ी थारे मामा ने अच्छो काम कियो है
मालवा क्षेत्र की बस्ती में रहने वाली 97 वर्षीय शांतिबाई कहती हैं कि मुझे अपने घर में ही संत के दर्शन और उनकी सेवा का सौभाग्य मिला। शायद प्रभु ने मुझे इसी दिन के लिए रोक रखा था। अपनी कृतज्ञता को वे भाव पूर्ण ढंग से अभिव्यक्त करते हुए अपनी बहु से कहती हैं- लाड़ी थारे मामा ने अच्छो काम कियो है।
एक बस्ती में गोपाल कहता है कि शासन की इस पहल का किस रूप में धन्यवाद करूं, समझ नहीं आता तो दूसरी बस्ती में मांगीलाल कहता है कि समाज में समानता लाने का यह कदम ऐतिहासिक है।
स्नेह यात्रा की पूर्णता खुशी भी देगी और खालीपन भी
स्नेह यात्रा में सम्मिलित पूज्य संत कह रहे हैं कि लोगों के अपार स्नेह में इतने दिन कैसे बीत गये, पता ही नहीं चला। प्रारंभ में लगता था कि 11 दिनों की यात्रा बड़ी है, कैसे संपन्न होगी। अब लगता है कि यात्रा कुछ और दिन चलती। यात्रा का संकल्प तो पूर्ण हो रहा है लेकिन जब यात्रा पूर्ण होगी तो खालीपन लगेगा। यही भाव यात्रा में सम्मिलित यात्रा दल के सदस्य भी व्यक्त कर रहे हैं।
यह समन्वय और सद्भावना का नया युग है
अख्रिल विश्व गायत्री परिवार के प्रदेश प्रमुख राजेश पटेल कहते हैं कि परिवार ने अपने सदस्यों के साथ तो अनेक यादगार आयोजन किये हैं किन्तु बहुत से संगठनों के साथ मिलकर यात्रा में सहभागी बनना एक विशिष्ट अनुभव है। पतंजलि परिवार की प्रमुख पुष्पांजलि दीदी कहती हैं कि यात्रा को जो स्नेह आमजन से मिल रहा है। कुछ समय पहले तक उसकी कल्पना करना भी कठिन था। यह प्रदेश शासन की सराहनीय पहल है। रामचंद्र मिशन के प्रदेश प्रभारी गजेन्द्र गौतम कहते हैं कि यात्रा को उसकी गतिविधियां विशिष्ट बना रही हैं। लोग स्वयं आगे आ रहे हैं।
समापन समारोह को भव्यता-दिव्यता देने के होंगे विशेष प्रयास
स्नेह यात्रा के समापन पर्व को यादगार बनाने के लिए यात्रा दलों और सहभागी संगठनों ने विशेष प्रयास किये हैं। कुछ स्थानों पर जहाँ समरसता शपथ होगी, तो कहीं सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लिया जायेगा। कही सहभोज में आसपास के सभी ग्रामवासियों को आमंत्रित किया जायेगा तो कहीं भक्ति संगीत के मधुर कार्यक्रम सम्पन्न होंगे।
योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग और संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 16 अगस्त से 26 अगस्त तक निकाली जा रही स्नेह यात्रा का संयोजन मप्र जनअभियान परिषद द्वारा किया जा रहा है। यात्रा में अखिल विश्व गायत्री परिवार, रामचंद्र मिशन, योग-आयोग संस्थान, पतंजलि योगपीठ एवं आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास सहभागी संगठन हैं। स्थानीय स्तर पर कार्यरत धार्मिक, सांस्कृतिक संगठन भी यात्रा में बढ़-चढ़ कर सहभागिता कर रहे हैं। सहभोज में देखते ही बनती सहभागिता एक बड़े बदलाव की शुरूआत है, जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दूरदर्शिता और संवेदनशीलता को जाता है।