जम्मू कश्मीर कांग्रेस में बढ़ी अंतर्कलह, गुलाबी नबी के इस्तीफे के बाद पार्टी हाईकमान पर गंभीर आरोप
नई दिल्ली
वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का जम्मू कश्मीर कैंपेन कमेटी के साथ पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्यता से इस्तीफा इस बात के साफ संकेत थे कि वहां कांग्रेस कमेटी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक वरिष्ठ नेता पार्टी हाईकमान की ओर से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने के बाद कुछ ही घंटों में इसे ठुकार देता है। इस गंभीर विचार करने की आवश्यकता थी, लेकिन अब इसकी पुष्टि खुद पार्टी के नेता ही कर रहे हैं। जम्मू के कांग्रेस नेता अश्विनी हांडा ने कहा है कि नवगठित अभियान समिति ने जम्मू-कश्मीर में पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं की अनदेखी की है। उनके साथ अन्याय हुआ है।
कांग्रेस के पूर्व विधायक हाजी अब्दुल राशिद दारो ने कहा है कि हम नाखुश हैं क्योंकि जम्मू-कश्मीर पीसीसी प्रमुख पर निर्णय लेने से पहले वरिष्ठ नेताओं से सलाह नहीं ली गई थी। हमने पीसीसी प्रमुख की हालिया घोषणाओं के विरोध में पार्टी की समन्वय समिति से इस्तीफा दे दिया है। मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वहीं कांग्रेस के पूर्व विधायक गुलजार अहमद वानी ने कहा 'मैंने हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश में पीसीसी प्रमुख की नियुक्ति के विरोध में जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस समन्वय समिति से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी का नया निर्णय कांग्रेस के पक्ष में नहीं है'।
वहीं जम्मू में कांग्रेस नेता अश्विनी हांडा ने कहा कि नवगठित अभियान समिति ने जम्मू-कश्मीर में पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं की अनदेखी की है। उनके साथ अन्याय हुआ है। इसलिए गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा दिया है क्योंकि वह समिति से असंतुष्ट थे। मंगलवार को कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद के करीबी माने जाने वाले वकार रसूल वानी को मंगलवार को अपनी जम्मू-कश्मीर इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। जबकि वरिष्ठ नेता 73 साल के आजाद को जम्मू-कश्मीर के चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी थी। लेकिन आजाद ने पद को संभालने से इनकार कर दिया। इस निर्णय के लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। उन्होंने अपने इस निर्णय से कांग्रेस नेतृत्व को अवगत करा दिया। वहीं अब जम्म कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से इसको लेकर अलग बयान दिए जा रहे हैं।