November 26, 2024

सुप्रीम कोर्ट बोला – अगर कैंडिडेट ने फॉर्म में नहीं दी लंबित मुकदमों की जानकारी, तब भी नियुक्ति नहीं रोक सकते

0

नई दिल्ली.
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में आदेश दिया है कि किसी तरह की नौकरी के मामले में आवेदन में अगर किसी भी उम्मीदवार ने आपराधिक मामलों के कॉलम में लंबित मामलों की जानकारी नहीं दी है और पुलिस वेरिफिकेशन में ऐसे मामलों का पता चलता है, तब भी नियुक्ति एजेंसी आवेदक को नियुक्ति पत्र से वंचित नहीं कर सकेगी। पश्चिम बंगाल के एक उम्मीदवार द्वारा लंबित आपराधिक मामले के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाने से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सत्यापन प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों से जानकारी मांगते समय विशिष्टता के महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डाला है। कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए याचिकाकर्ता यानी पश्चिम बंगाल सरकार को चार हफ्तों के अंदर पीड़ित युवक को पुलिस कॉन्स्टेबल का नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया है।

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में लंबित आपराधिक मामले के अंतिम परिणाम के अधीन प्रतिवादी को पुलिस कांस्टेबल के रूप में नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अवतार सिंह बनाम भारत संघ (2016) में निर्धारित सिद्धांत को दोहराते हुए कहा, “दमन या गलत जानकारी का निर्धारण करने के लिए सत्यापन/सत्यापन फॉर्म विशिष्ट होना चाहिए, अस्पष्ट नहीं। कौन सी जानकारी प्रकट की जानी जरूरी है, फॉर्म में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया जाना आवश्यक है। यदि जानकारी नहीं मांगी गई है, लेकिन प्रासंगिक है और नियोक्ता को बाद में पता चल जाता है, तो उपयुक्तता के मामले को गौर करते समय उस पर वस्तुनिष्ठ तरीके से विचार किया जा सकता है। हालाँकि, ऐसे मामलों में, उस तथ्य को दबाने या गलत जानकारी प्रस्तुत करने के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, जिसके बारे में पूछा ही नहीं गया था।"

यह मामला पश्चिम बंगाल पुलिस बल में कांस्टेबल के पद पर एक उम्मीदवार की नियुक्ति से जुड़ा है। उम्मीदवार पर आवेदन प्रक्रिया के दौरान आपराधिक मामले से जुड़ी जानकारी छिपाने का आरोप था। फॉर्म में आवेदक को एक कॉलम में यह जानकारी भरनी थी कि उसे किसी भी अपराध के लिए गिरफ्तार, हिरासत, दोषसिद्धि और सजा मिली है या नहीं? आवेदक ने उसे छोड़ दिया था। बाद में सत्यापन के दौरान पता चला कि उसके खिलाफ केस पेंडिंग है। इसी को आधार बनाकर नियोक्ता ने उसे नियुक्ति पत्र देने से इनकार कर दिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *