बिना चर्चा के मणिपुर विधानसभा का विशेष सत्र हुआ स्थगित, राज्य में अब तक 160 मौतें
इंफाल
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। 120 दिनों से जारी हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच राज्य सरकार की मांग पर आज विधानसभा का एक दिन का सेशन होना था। इसमें राज्य में शांति बहाली को लेकर चर्चा की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन, हंगामे के चलते ये सत्र अनिश्चित-काल के लिए स्थगित हो गया।
CM एन बीरेन सिंह ने 21 अगस्त को राज्यपाल अनुसुइया उइके को सत्र शुरू करने की सिफारिश की थी। 22 अगस्त को राजभवन ने अधिसूचना जारी कर दी। संविधान के आर्टिकल 174 (1) के मुताबिक, किसी भी सदन में दो सत्रों में छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए। मणिपुर में पिछला सत्र मार्च में हुआ था। ऐसे में छह महीने की डेडलाइन सितंबर में खत्म हो रही थी।
दो मंत्रियो समेत 10 विधायकों ने सेशन का बहिष्कार किया
मंत्रियों समेत 10 विधायकों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए सत्र में शामिल होने से इनकार कर दिया। ये सभी आदिवासी कुकी समुदाय से आते हैं। इनमें एलएम खौटे, नगुर्सांगलुर सनाटे, लेटपाओ हाओकिप, लेटजमंग हाओकिप, पाओलीनलाल हाओकिप, वुंगजागिन वाल्टे, हाओखोलेट किपगेन (निर्दलीय), किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग (KPA), चिनलुंगथांग (KPA) के विधायक हैं। हालांकि, CM बीरेन सिंह ने उन्हें पूरी सिक्योरिटी मुहैया कराने का आश्वासन दिया था।
संसद के मानसून सत्र में मणिपुर पर हुई थी चर्चा
20 जुलाई से 11 अगस्त तक चले संसद के मानसून सत्र में मणिपुर का मुद्दा उठा था। मणिपुर पर चर्चा के लिए 26 जुलाई को विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A ने अविश्वास प्रस्ताव दिया। यह प्रस्ताव कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई लेकर आए थे। 8 से 10 अगस्त तक इस पर बहस हुई।