November 24, 2024

राष्ट्रपति ने महंत घासीदास संग्रहालय का किया अवलोकन

0

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक वैभव से हुईं रू-ब-रू

*राष्ट्रपति ने महंत घासीदास संग्रहालय का किया अवलोकन*

*तालागांव की रुद्रशिव प्रतिमा, रामगढ़ के सीताबेंगरा गुफा, सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर, भोरमदेव के शिव मंदिर, बारसूर की गणेश प्रतिमा, सिरपुर की बौद्ध मूर्तियों तथा रतनपुर से मिले जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के बारे में विस्तार से जाना*

*राष्ट्रपति को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने तालागांव की रुद्रशिव प्रतिमा की प्रतिकृति भेंट की*

रायपुर. 31 अगस्त 2023. भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने अपने दो दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के पहले दिन आज रायपुर में महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय का अवलोकन किया। वे इस दौरान छत्तीसगढ़ की पुरातात्विक वैभव से रू-ब-रू हुईं। राष्ट्रपति ने इस बहुआयामी संग्रहालय में छत्तीसगढ़ और अन्य क्षेत्रों से प्राप्त प्राचीन मूर्तियों, अभिलेखों और ताम्रपत्रों के बारे में विस्तार से जाना। वे यहां की प्राचीन मूर्त धरोहर, राम वन गमन पथ तथा शिवनाथ नदी के दोनों ओर बसे गढ़ों से भी रू-ब-रू हुईं। संग्रहालय के भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रपति को तालागांव से प्राप्त रुद्रशिव प्रतिमा की प्रतिकृति भेंट की।

राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन और संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने भी राष्ट्रपति के साथ संग्रहालय का अवलोकन किया। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 मार्च 1953 को महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय भवन का उद्घाटन किया था। यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में अपनी प्राचीनता और पुरातनता के लिए प्रसिद्ध है।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने महंत घासीदास संग्रहालय में बिलासपुर जिले के तालागांव में देवरानी मंदिर से प्राप्त रुद्रशिव प्रतिमा, सरगुजा के रामगढ़ में पत्थरों को काटकर बनाई गई विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला के रूप में मशहूर सीताबेंगरा गुफा, सिरपुर में पक्के ईंटों से निर्मित लक्ष्मण मंदिर, शिल्प और स्थापत्य में समानता के कारण छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहे जाने वाले भोरमदेव के शिव मंदिर और बारसूर में पत्थर से निर्मित भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा की प्रतिकृतियों और तस्वीरों का अवलोकन किया। उन्होंने सिरपुर में वर्ष 1953 में टीलों की खुदाई में प्राप्त धातु निर्मित बौद्ध मूर्तियों जिनमें बौद्ध धर्म में ज्ञान के देवता मंजुश्री, भूमिस्पर्शमुद्रा व वरमुद्रा में बुद्ध और उनके अवतार वज्रपाणी की प्रतिमाएं शामिल हैं, उनको भी देखा। ये प्रतिमाएं केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश की उत्कृष्ट धातु शिल्प की धरोहर हैं जिनका प्रदर्शन कई अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में हो चुका है। इन मूर्तियों को यहां संग्रहालय में सुरक्षित ढंग से रखा गया है।

राष्ट्रपति ने संग्रहालय के भ्रमण के दौरान रतनपुर से मिले 11वीं और 12वीं शताब्दी की भगवान विष्णु की प्रतिमा तथा जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के बारे में भी जाना। इनमें जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ, 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ तथा 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रतिमाएं शामिल हैं। उन्होंने ग्राम किरारी के तालाब से प्राप्त दो हजार वर्ष पुराना और अनूठा काष्ठ स्तंभ लेख तथा सिरपुर से खुदाई में मिला एक हजार वर्ष पुराना मिट्टी का अन्न संग्राहक पात्र भी देखा। राष्ट्रपति के संग्रहालय भ्रमण के दौरान संस्कृति विभाग के सचिव श्री अन्बलगन पी. और संचालक श्री विवेक आचार्य भी मौजूद थे।

*राष्ट्रपति ने गौरवशाली अतीत के साक्ष्यों को संभालने के लिए संग्रहालय की पूरी टीम को दी बधाई*

महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय के भ्रमण के बाद राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने संग्रहालय की टीम की सराहना की। उन्होंने विजिटर्स बुक में लिखा कि यहां प्रदर्शित कलाकृतियां और प्राचीन अवशेष भारतीय इतिहास के ज्ञान में वृद्धि करते हैं। रुद्रशिव की मूर्ति, सिरपुर की धातु मूर्तियां तथा लकड़ी के खंभे पर दो हजार साल पहले लिखा गया लेख इस संग्रहालय में सावधानीपूर्वक रखे गए हैं। उन्होंने गौरवशाली अतीत के साक्ष्यों को संभालने के लिए संग्रहालय की पूरी टीम को बधाई दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *