हौसला बुलंद, संगठन में मजबूती; केजरीवाल बनना चाहते हैं तीसरी ताकत, पूरी है तैयारी
नई दिल्ली
2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए और यूपी के बीच केजरीवाल तीसरी ताकत बनने की तैयारी में हैं। इसके लिए वे आम आदमी पार्टी का विस्तार करने में जुटे हैं। पंजाब की जीत ने आप को ऊर्जा दी है। गोवा में मिली दो विधानसभा सीटें और सूरत निगम जैसे चुनावों में मिली सफलता ने आप के उत्साह को बढ़ाया है। भाजपा के एजेंडे का जवाब केजरीवाल अपने तरीके से दे रहे हैं। मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य की वकालत के साथ दल्ली में पांच सौ बड़े तिरंगे लगाकर, देशभक्ति पाठ्यक्रम और हर हाथ तिरंगा कार्यक्रम के जरिए वे अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
गलतियों से लिया सबक
10 वर्ष के सफर में आप ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। अपनी गलतियों से सबक लेकर आप राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनने की कोशिश में है। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप को 28 सीटें मिली थी। पार्टी बनाने के मात्र एक साल के अंदर आप ने दिल्ली में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। यह सरकार मात्र 49 दिन चली, लेकिन आप को दिल्ली में स्थापित कर गई। इसके बाद आप ने सीधे राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा खोला। तब नरेंद्र मोदी के सामने बनारस से केजरीवाल उतरे लेकिन आप को सिर्फ पंजाब में ही चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई। उसके सभी बड़े नेता हार गए। इसके बाद कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने और पंजाब के दो लोकसभा सासंदों के बागी होने से आप बैकफुट पर आ गई।
पंजाब में जीत के बाद फिर मोदी पर हमलावर
2017 के पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में आशातीत सफलता नहीं मिलने से आप ने दिल्ली पर फोकस किया। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले आप ने जमकर केंद्र और मोदी सरकार पर निशाना लगाया, लेकिन भाजपा के दोबारा चुनाव जीतने के बाद सीधे टकराव से दूरी बनाई। मोदी पर अचानक हमलावर पंजाब की जीत के बाद केजरीवाल अचानक पीएम नरेंद्र मोदी पर हमलावर हो गए हैं। मई 2019 में आए लोकसभा नतीजों के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से टकराव छोड़ दिया था। अब केजरीवाल अपनी पत्रकार वार्ता और अलग अलग प्रदेशों में हो रही जनसभा में केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।
संगठन किया मजबूत
2019 लोकसभा चुनाव में मात्र एक सीट मिलने के बाद आप राज्यों में संगठन मजबूत करने में जुट गई। पंजाब में राघव चढ्ढा को प्रभारी बनाया गया। यहां आप की सरकार बन गई। गोवा में भी दो विधानसभा सीट मिलने के बाद आप को राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा मिला। सूरत के निगम चुनाव में जीत ने हौंसला बुलंद किया और पार्टी गुजरात और हिमाचल चुनाव की तैयारी में जुट गई।