November 24, 2024

कांग्रेस का आरोप: जीडीपी आंकड़ों को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया गया, भाजपा का पलटवार

0

नई दिल्ली
कांग्रेस ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही मं् आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े जारी होने के बाद शुक्रवार को आरोप लगाया कि आर्थिक विकास दर की संख्या बढ़ाचढ़ाकर बताई गई है तथा सिर्फ छह प्रतिशत की वृद्धि दर से अधिकतर लोगों की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं होने वाली है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि देश में उपभोग से संबंधित वृद्धि मंद है तथा निर्यात में वृद्धि के मुकाबले आयात में वृद्धि बहुत अधिक है। दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार करते हुए कहा कि आंकड़ों में कोई गडबड़ी नहीं है और ये अर्थव्यवस्था के मूल्य स्तर में वास्तविक परिवर्तनों को दर्शाते हैं।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार कृषि और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8 प्रतिशत रही है। यह पिछली चार तिमाहियों में सबसे ऊंची वृद्धि दर है।

बीते वित्त वर्ष 2022-23 की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 13.1 प्रतिशत रही थी। जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत तथा अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.5 प्रतिशत थी।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, ''कल शाम सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के तिमाही आंकड़े सामने आने और उन पर ढोल-नगाड़े बजाने के सामान्य दौर के बाद, यह कड़वी सच्चाई है कि मूल्य निर्धारण के जिन मानकों का उपयोग किया गया उनके हिसाब से आंकड़ों को पूरे एक प्रतिशत अंक बढ़ाकर बताया गया।''

उन्होंने दावा किया, ''उपभोग वृद्धि प्रतिगामी है, खासकर ग्रामीण भारत में काफी पीछे है। आयात वृद्धि निर्यात में वृद्धि से अधिक है। जो भी दावे किए जा रहे हैं, उनके विपरीत विनिर्माण क्षेत्र में अभी भी वृद्धि नहीं हुई है। मानसून की कमी का असर दूसरी तिमाही से दिखना शुरू हो जाएगा।''

रमेश ने कहा, ''वर्तमान रुझानों के अनुसार, वर्ष 2022-23 के लिए विकास दर 6 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है। बढ़ती असमानता के साथ, यहां तक कि 6 प्रतिशत की निराशाजनक जीडीपी वृद्धि से भी अधिकतर भारतीयों की आय में वृद्धि नहीं होगी।''

कांग्रेस नेता पर पलटवार करते हुए भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ''संप्रग की घोटालों से घिरी सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया, जिससे भारत दो अंकों की मुद्रास्फीति और निराशाजनक नीतिगत पंगुता के साथ ‘फ्रैजाइल फाइव’ में आ गया।''

उन्होंने कहा, ''आंकड़े अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था के मूल्य स्तर में वास्तविक परिवर्तनों को दर्शाते हैं। कार्यप्रणाली में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है, तरीका वही है, जो पहले था। आयात वृद्धि भारतीय बाजार के संपन्न होने का संकेत देती है, लेकिन साथ ही, वैश्विक अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है, यही कारण है कि निर्यात गिर रहा है और यह एक वैश्विक घटना है, केवल भारत के लिए विशिष्ट नहीं है।''

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed