November 26, 2024

8 साल पुराने गैंगरेप और ट्रिपल मर्डर केस में 3 हत्यारों को मिली मौत की सजा

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दिल्ली

दिल्ली की एक अदालत ने 8 साल पहले रघुबीर नगर में एक महिला से गैंगरेप और उसके बाद मां और दो मासूम बच्चों- 7 वर्षीय बेटे और 6 वर्षीय बेटी की हत्या के मामले में तीन लोगों को मौत की सजा सुनाई है। हत्यारों ने गैंगरेप के बाद पहले पेचकस से महिला की हत्या की और फिर उसका गला घोंट दिया। इसके बाद उसके दो बच्चों की भी हत्या कर दी और फिर घर में लूटपाट की थी।

गैंगरेप और ट्रिपल मर्डर का यह मामला ख्याला थाना इलाके का है। महिला और उसके दोनों बच्चे दिल्ली के रघुबीर नगर में अपने घर की दूसरी मंजिल पर मृत पाए गए थे। इस संबंध में महिला के पति की शिकायत पर 2015 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस क्रूर बलात्कार और हत्या में एक नाबालिग (किशोर) सहित चार लोग शामिल थे।

तीनों पर लगाया 35000-35000 रुपये का जुर्माना

तीस हजारी अदालत की विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज आंचल ने तीन हत्यारों- शाहिद, अकरम और रफत अली उर्फ मंजूर अली को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत जघन्य अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई। इसके साथ ही इन्हें गैंगरेप और डकैती के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने तीनों दोषियों पर 35000-35000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने 22 अगस्त को आरोपियों को दोषी करार दिया था।

अदालत ने पुलिस द्वारा इस मामले की सही जांच और हत्यारों के पास से बरामद सबूतों को अहम आधार माना है।  कोर्ट ने कहा कि यह भी साबित हो चुका है कि तीनों आरोपियों शाहिद, रफत अली और अकरम ने इस मामले में साजिश रची थी। अदालत ने कहा, "कॉल रिकॉर्ड और बयान यह साबित करते हैं कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि घटना की तारीख से पहले भी दोषियों शाहिद, अकरम और रफत अली और एक किशोरी के बीच साजिश की गई थी, जो 19.09.2015 और 23.09.2015 को उस दिन तक जारी रही, जब अपराध की आय आरोपी व्यक्तियों के बीच साझा की गई।''

दोषियों ने बार-बार एक-दूसरे को की थीं कॉल

अदालत ने यह भी कहा कि एक पैटर्न देखा गया है कि कोई भी कॉल बैक-टू-बैक नहीं की गई थी बल्कि कुछ मिनटों या घंटों के अंतराल के बाद कॉल की गई थी। अदालत ने कहा, ''रफत अली ने 21/09/2015 को सुबह करीब 10 बजे दिल्ली छोड़ी और उसके बाद शाहिद भी उसी दिन 21/09/2015 को दिल्ली छोड़ने के लिए रात 10:29 बजे आनंद विहार पहुंचे और फिर 22/09/2015 को सुबह 10:34 बजे उसकी लोकेशन अलीगढ़ में थी।''

अदालत ने कहा कि किशोर 22/09/2015 की सुबह 08:20 बजे से रोमिंग नेटवर्क में था और अकरम 23/09/2015 की सुबह 08:20 बजे भी दिल्ली के नेटवर्क से बाहर था, लेकिन दिल्ली छोड़ने वाले और शाहिद के बीच हमेशा एक कॉल होती थी और फिर शाहिद और रफत अली के बीच कॉल और इसी तरह का संचार तब हुआ जब आरोपी दिल्ली छोड़कर अपने ठिकान पर पहुंचा।

अदालत ने कहा, "यह बहुत अजीब है कि शाहिद और अकरम द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों के बीच लगातार कॉल की जा रही थी, जो तीन हत्याओं के समय से मेल खाता है और केवल चार लोगों के बीच कई कॉल की गई थीं, अपराध करने की तारीख और 23/09/2015 को उस दिन जब वे अलीगढ़ में थे।"

जज ने कहा, "इसलिए, हालांकि कॉल की कोई भी सामग्री रिकॉर्ड में नहीं है, लेकिन उनके कॉल रिकॉर्ड बहुत ही असामान्य आचरण दिखा रहे हैं, जो तीन हत्याओं, गैंगरेप और डकैती के अपराध में उनकी संलिप्तता का संकेत देते हैं।"

हत्या वाले दिन जयपुर गया था महिला का पति

वर्तमान मामले में मृतका के पति ने अपने बयान में कहा था कि वह पिछले तीन साल से अपनी पत्नी, दो बेटों और तीन बेटियों के साथ उसी पते पर किराए पर रह रहा था। वह उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज का मूल निवासी है और पुरानी जीन्स पैंट बेचने का काम करता था और इसके लिए वह हर शनिवार को जयपुर जाता था। इसी तरह वह 19/09/2015 को रात लगभग 09:30 बजे अपने परिवार को छोड़कर जयपुर चला गया। पत्नी और बच्चे पूरी तरह स्वस्थ थे और जब वह अगले दिन सुबह लगभग 06:00 बजे वापस लौटा और दूसरी मंजिल पर पहुंचा तो उसने देखा कि दरवाजा बाहर से बंद था और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसने अपनी पत्नी और एक बेटे और एक बेटी को मृत पाया और उसके बाकी तीन बच्चे फर्श पर सो रहे थे और उसकी पत्नी की गर्दन और नाक पर खून लगा हुआ था और उसकी गर्दन दुपट्टे से बंधी हुई थी, जबकि उसकी बेटी की गर्दन रूमाल से बंधी हुई थी। उन्हें ऐसी हालत में पाकर उसने वह हैरान हो गया और रोने लगा, जिससे उसके तीन बच्चे जाग गए और फिर उसने अपने साले और एक अन्य अजीम को घर बुलाया।

इसी दौरान किसी ने पुलिस को फोन कर दिया। महिला के पति को अपने मकान मालिक फहीम पर अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या का शक था और वह चाहता था कि उससे पूछताछ की जाए। वहीं उसने 21/09/2015 को पुलिस को यह भी बताया कि अपने घर की जांच करने पर पता चला कि एक चांदी की पायल, सोने के झुमके, सोने की पॉलिश वाला चांदी का मांगटीका, चांदी के दो जोड़े हाथफूल, चांदी के दास्ताना, आर्टिफिशयल आभूषणों के दो हार और 18,550 रुपये कैश गायब थे।

जब उसने अपने स्तर पर पूछताछ की तो उसी मकान की पहली मंजिल पर रहने वाले एक अन्य किरायेदार के बेटे शब्बू ने बताया कि कल रात करीब 09:45 बजे अकरम के साथ एक नाबालिग और दो लड़के सीढ़ी से चढ़ रहे थे। इसके बाद वह मृतका के कमरे में गया और दरवाजा बंद कर लिया और उसने उनके अलावा किसी अन्य व्यक्ति को वहां जाते नहीं देखा था।

शिकायतकर्ता ने बताया कि उसे शक है कि अकरम के साथ उस किशोर और दो दोस्तों ने वो सामान ले लिया और उसकी पत्नी और बच्चों की हत्या कर दी। उसने आरोपी अकरम के पिता का नाम और पता बताया और यह भी बताया कि वह अकरम और नाबालिग को जानता है।

मृतक महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर में आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) भी जोड़ी गई। इसके अलावा मुखबिर से सूचना मिलने पर दो आरोपी शाहिद और मो. अकरम को 04/10/2015 को एचएमपी रघुवीर नगर के पास एक पार्क से गिरफ्तार किया गया था।

दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई और उन्होंने अपने साथियों मंजूर और किशोर के साथ मिलकर हत्या, डकैती और मृतका के साथ गैंगरेप करने का खुलासा किया। इसके बाद पुलिस ने मामले को आईपीसी की धारा 376 (डी) के तहत बदल दिया और फरार चल रहे दो आरोपियों शाहिद और अकरम को भी गिरफ्तार कर लिया।

आरोपी शाहिद के कब्जे से दो आईएमईआई नंबर और सिम कार्ड वाला एक मोबाइल फोन मिला, जबकि आरोपी अकरम के कब्जे से एक काले रंग का लावा मोबाइल फोन मिला, जिसमें दो आईएमईआई नंबर और सिम कार्ड और कुछ पैसे थे। आरोपी किशोर को खजूरी चौक से और रफत अली को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया गया। 

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