September 25, 2024

मराठा आरक्षण पर मुश्किल में फंसी शिंदे सरकार, भूख हड़ताल पर बैठे मनोज पाटिल ने थमाया नया अल्टीमेटम

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औरंगाबाद
 मराठा आरक्षण मुद्दे पर महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार मुश्किल में फंस गई है।  29 अगस्त से भूख हड़ताल कर रहे 41 वर्षीय स्थानीय मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल ने अब राज्य सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि चार दिनों के भीतर ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा आरक्षण देने का निर्देश जारी किया जाय। जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में भूख हड़ताल कर रहे जारांगे ने कहा कि अगर आरक्षण को लेकर अनुकूल निर्णय नहीं लिया गया तो वह चार दिन बाद पानी और तरल पदार्थ लेना बंद कर देंगे। मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल ने राज्य भर में मराठा भावनाओं को भड़का दिया है।

महाराष्ट्र सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल  मनोज जारांगे की हड़ताल खत्म कराने और उन्हें मनाने में मंगलवार को नाकाम रहा। महाराष्ट्र के मंत्रियों और नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मनोज जारांगे ने कहा कि जब तक मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी की तरह ओबीसी में मान्यता देकर आरक्षण नहीं दिया जाता, तब तक वह अपना विरोध समाप्त नहीं करेंगे। बता दें कि कुनबी,एक जाति है जिसे ओबीसी के रूप में मान्यता दी गई है।

मनोज जारांगे पाटिल ने कहा, "मुझे आज से पानी पीना बंद कर देना चाहिए था। हालांकि, सरकार के अनुरोध पर, मैं उन्हें चार दिन का समय और दे रहा हूं। उसके बाद मैं पानी पीना बंद कर दूंगा और साथ ही चार दिनों के बाद खारा लेना भी बंद कर दूंगा।" दूसरी तरफ ओबीसी समुदाय भी घटनाक्रम पर उत्सुकता से नजर रख रहा है। माना जा रहा है कि मराठों को ओबीसी का दर्जा देने के किसी भी कदम का राज्य का ओबीसी समुदाय कड़ा विरोध कर सकता है।

सरकार अब तक मनोज जारांगे से दो बार संपर्क कर उनसे अनशन वापस लेने का आग्रह कर चुकी है, लेकिन उन्होंने हटने से इनकार कर दिया है। मंगलवार को राज्य के पर्यटन मंत्री और बीजेपी नेता गिरीश महाजन अपने कैबिनेट सहयोगियों संदीपन भुमरे (शिव सेना) और अतुल सावे के साथ जारांगे से मिले और उनसे हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया। उनके साथ विधायक नारायण कुचे, राजेश टोपे और पूर्व विधायक अर्जुन खोतकर भी शामिल थे।

     महाजन ने जारांगे को अपने साथ मुंबई चलने और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बातचीत करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।    उन्होंने महाजन से कहा, “हम सरकार को चार दिन का समय दे रहे हैं। अगर सरकार मराठा आरक्षण पर जीआर (प्रस्ताव) पेश करने में विफल रहती है, तो मैं पानी, जूस और तरल पदार्थ का सेवन बंद कर दूंगा।”

 

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