हिंदी को जन-जन की भाषा बनाने का करें प्रयास : मंत्री सुश्री ठाकुर
भोपाल
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने हिंदी भवन में "साहित्य संगम एवं 27वीं पावस व्याख्यानमाला" का शुभारंभ किया। मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति और डॉ. रवीन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार और साहित्य सृजन के उद्देश्य से 4 दिवसीय आयोजन किया जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष गौतम ने कहा कि हिंदी में साहित्य की रचना और लेखन की आवश्यकता है। साहित्य ही संस्कृति को भावी पीढ़ी तक ले जाता है। साथ ही हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हिंदी की बोलियों का संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है। इस तरह हिंदी भाषा और बोलियों का संरक्षण कर हम हमारी संस्कृति का संरक्षण करते हैं।
मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिंदी को जन-जन की भाषा और राष्ट्रभाषा बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। राज्य शासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चिकित्सा शिक्षा और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में भी कराए जाने की शुरूआत की है। इससे गाँव और सुदूर क्षेत्र के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को भी अवसर मिलेगा।
डॉ. रवीन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति संतोष चौबे ने कहा कि भाषा ही संस्कृति है। यह हमारी जीवन-शैली और संस्कृति के मूल्यों को निर्धारित करती है। वर्तमान में विश्व में हिंदी का मान बढ़ा है, इसका अंदाजा इस तरह लगाया जा सकता है कि विश्व के करीब 112 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। वैश्विक दृष्टि से हिंदी को प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में रमेश दवे के जीवन को समर्पित अंक 'सृजन यात्रा' और पत्रिका 'अक्षरा' के नवीनतम विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। समिति के अध्यक्ष सुखदेव प्रसाद दुबे, उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा और डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षित सहित बड़ी संख्या में हिंदी भाषा साहित्य प्रेमी और नागरिक उपस्थित थे।