वामपंथी बनने से ऐसे बचे थे योगी आदित्यनाथ, कॉमरेड बनने का ऑफर ठुकराकर लड़े थे पहला चुनाव
यूपी
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का राजनीति सफर लंबे समय से रहा है। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में छात्र संघ से जुड़कर ही राजनीति में कदम रख लिया था। हालांकि छात्र संघ के चुनाव लड़ने के लिए उन्हें बहुत पापड़ बेलने पड़े। इनमें से सबसे मुश्किल था टिकट मिलना। जहां उन्हें एबीवीपी ने चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया वहीं लेफ्ट ने उन्हें हाथ बढ़ाकर टिकट का ऑफर दिया था। जी हां, योगी आदित्यनाथ कॉमरेड बनने की राह पर जा सकते थे। हालांकि ऐसा नहीं हुआ और वो अपने दम पर चुनाव लड़े।
कहानी तब की है जब योगी आदित्यनाथ अजय सिंह बिष्ट नाम से पहचाने जाते थे। बीएससी की पढ़ाई के दौरान योगी आदित्यनाथ कॉलेज से ही छात्र राजनीति में उतरे। छात्र संघ चुनाव लड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने एबीवीपी के साथ जुड़कर लंबे समय तक काम किया। लेकिन लगातार दो साल उन्हें सचिव पद के लिए टिकट नहीं दिया गया। इस दौरान उनकी बहन के पति ने उन्हें लेफ्ट के साथ जुड़ने का ऑफर दिया था। योगी आदित्यनाथ के जीजा एसएफआई के साथ जुड़े थे। उन्होंने साथ आने का ऑफर योगी को भी दिया लेकिन उन्होंने ये ऑफर ठुकरा दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा।
हार गए थे पहला चुनाव
योगी आदित्यनाथ ने पहला चुनाव छात्र संघ का लड़ा। हालांकि वो ये चुनाव हार गए। फिर भी उन्होंने अपना राजनीति का सपना छोड़ा नहीं। उन्होंने आगे फिर भाजपा के साथ जुड़कर चुनाव लड़े और जीते भी।
वामपंथ को ना नाथपंथ को हां
योगी आदित्यनाथ के कॉलेज के दिनों में उनके शैक्षिक दस्तावेज चोरी हो गए थे। इस मामले में पुलिस से मदद न मिलमे के बाद उन्होंने योगी अवैद्यनाथ से मदद मांगी। इसके बाद उन्होंने योगी अवैद्यनाथ को अपना गुरू बनाया और नाथपंथ की दीक्षा ली। योगी आदित्यनाथ बाद में उनके उत्तराधिकारी बने। इसके बाद 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए।