CBI छापे के बाद अब ED भी करेगी आबकारी नीति में मनी लांड्रिंग के तहत मनीष सिसोदिया के घर जांच
नई दिल्ली
दिल्ली में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य पर सीबीआई की छापेमारी के बाद अब ED(प्रवर्तन निदेशालय, ईडी) आप सरकार की आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने को लेकर मनी लांड्रिंग के तहत जांच शुरु कर सकता है। सीबीआई ने आबकारी घोटाले पर अपनी प्राथमिकी में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सहित 15 आरोपियों को सूचीबद्ध किया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई CBI) ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार के आईएएस अधिकारी और दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त आर गोपी कृष्णा और सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 19 अन्य स्थानों पर छापेमारी की। पिछले साल नवंबर में लाई गई दिल्ली आबकारी नीति का निर्माण और क्रियान्वयन किया गया था। दिल्ली सरकार ने जुलाई में इस पॉलिसी को खत्म कर दिया था।
मालूम हो कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले महीने आबकारी नीति 2021-22 को लागू करने में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, उसके बाद यह योजना जांच के दायरे में आई थी। उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया था। मनीष सिसोदिया ने भी नीति में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की थी। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई जांच की सिफारिश जुलाई में दायर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसमें जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन दिखाया गया था।
सूत्रों ने कहा कि ED(ईडी) अपनी जांच के दौरान इस बात का विश्लेषण करेगा कि क्या नीति निर्माण और संबंधित संस्थाओं में शामिल व्यक्तियों और कंपनियों ने "मनी लांड्रिंग(पीएमएलए की परिभाषा के तहत अपराध की आय)" और क्या अवैध या बेनामी संपत्ति का कोई संभावित निर्माण किया था। एजेंसी के पास ऐसी संपत्तियों को कुर्क करने और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में लिप्त लोगों से पूछताछ करने, गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने का अधिकार है।
अधिकारियों के अनुसार, मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नीति के माध्यम से "शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ" प्रदान करने के लिए "जानबूझकर चूक" सहित प्रथम दृष्टया उल्लंघन दिखाया गया था। आरोप है कि टेंडर दिए जाने के बाद शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड -19 के बहाने लाइसेंसधारियों को टेंडर लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी। उन्होंने कहा कि इसने हवाईअड्डा क्षेत्र के लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस कर दी, जबकि वह हवाईअड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रही।
यह दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 48(11)(बी) का घोर उल्लंघन था, जो स्पष्ट रूप से यह निर्धारित करता है कि सफल बोलीदाता को लाइसेंस प्रदान करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। ऐसा न करने पर उसके द्वारा की गई सभी जमा राशियां मान्य होंगी। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई आबकारी नीति 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था और इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहर भर में 32 क्षेत्रों में विभाजित 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे।