खालिस्तानी आतंकी की मौत पर बिलबिला उठे, करीमा बलोच की हत्या पर चुप्पी क्यों? जस्टिन ट्रूडो से पूछे जा रहे सवाल
कनाडा
खालिस्तानी आतंकवादी करीमा बलोच की हत्या पर बिलबिलाने वाले जस्टिन ट्रूडो सिर्फ खालिस्तानी आधारित राजनीति ही नहीं करते हैं, बल्कि वो मुस्लिमतुष्टिकरण की राजनीति करने में भी माहिर हैं। इसीलिए, जब जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ कनाडा के संबंधों को भी बर्बाद करनी शुरू कर दी है, तो उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं, कि भला उनकी सरकार ने करीमा बलोच की हत्या पर पिछले 3 सालों से क्यों चुप्पी साध रखी है?
जबकि, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाकर कनाडा सरकार ने भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया है। कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की इस साल जून में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर खालिस्तान की अलगाववादी विचारधारा के मुखर समर्थक था, जो पंजाब राज्य को भारत से अलग करने की वकालत करती है। लिहाजा, सवाल उठ रहे हैं, कि जस्टिन ट्रूडो उस आतंकवादी का समर्थन कैसे कर सकते हैं, जिसका एजेंटा ही भारत के खिलाफ है। लेकिन, आइये जानते हैं, कि करीमा बलोच कौन थी और उनकी हत्या में पाकिस्तान का डायरेक्ट हाथ होने के बाद भी, जस्टिन ट्रूडो के मुंह से एक शब्द भी क्यों नहीं फूटे हैं?
कनाडा में हुई थी करीमा बलूच की हत्या
कनाडा के टोरंटो में निर्वासन में रह रही बलूच कार्यकर्ता करीमा बलूच 20 दिसंबर 2020 को अचानक गायब हो गईं थी। बलूच को अगले दिन टोरंटो के डाउनटाउन तट पर लेक ओंटारियो के पास संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया था। करीमा बलूच, टोरंटो के सेंटर द्वीप पर नियमित सैर पर गईं थीं, जहां वो अकसर जाया करती थीं, लेकिन वहीं पर उनकी हत्या कर दी गई। उनके लापता होने की जानकारी टोरंटो पुलिस ने ट्विटर पर भी दी थी, जिसके बाद उनके शव को खोजा गया था।
करीमा बलोच कौन थीं?
करीमा बलूच को मानवाधिकार एक्टिविस्ट के रूप में जाना जाता था, जो बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की क्रूरता को दुनिया के सामने रखती थीं। उन्होंने बलूच छात्र संगठन आज़ाद में अध्यक्ष का पद भी संभाला था। पाकिस्तान में, वह बलूचिस्तान के सैन्यीकरण के साथ-साथ बलूच व्यक्तियों के जबरन गायब होने और ज्यूडिशियल किलिंग के खिलाफ लगातार पाकिस्तान सरकार को एक्सपोज कर रही थीं। एक छात्र राजनीतिक संगठन, बलूच छात्र संगठन (बीएसओ-आजाद) के नेता के रूप में, उन्होंने एक लंबे विद्रोह से चिह्नित क्षेत्र में बलूचों के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ने की ठानी थीं, लेकिन कनाडा में अचानक उन्हें गायब कर दिया गया और बाद में पता चला, कि उनकी हत्या कर दी गई है। जबकि, मानवाधिकार क्षेत्र में उनके किए गये कामों की वजह से उन्हें साल 2016 में बीबीसी की 100 सबसे प्रेरणादायक और प्रभावशाली महिलाओं की सूची में जगह मिली थी।