महिला आरक्षण बिल से राजस्थान में बदल जाएगा सियासी गणित
जयपुर
नारी शक्ति वंदन अधिनियम दोनों सदनों में पास होता है तो राजस्थान विधानसभा में भी महिलाओं की तस्वीर बदलनी तय है। विधानसभा में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी। प्रदेश की विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं और यदि आरक्षण बिल पास होता है तो 66 महिलाओं को विधानसभा में जगह मिलना तय है। संसद की नई इमारत के साथ ही महिलाओं को उनके हक की नई इबारत भी लिखी जा रही है। एक दिन पहले मोदी कैबिनेट ने महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। फिलहाल अभी प्रदेश में महिला विधायकों की संख्या 27 है, जिसमें कांग्रेस की तरफ से 15, बीजेपी की तरफ से दस, आरएलपी और अन्य की तरफ से एक- एक महिला विधायक है।
महिला विधायकों की संख्या 66 हो जाएगी
सियासी जानकारों का कहना है कि संसद में महिलाओं को आरक्षण देने वाले बिल के पारित होने पर विधानसभा में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। राजस्थान में भी इसका असर होगा। वर्तमान में यहां 27 महिला विधायक हैं। आरक्षण लागू हुआ तो ये संख्या दो गुना से भी ज्यादा यानी 66 हो जाएगी। राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं। 33 प्रतिशत आरक्षण के साथ महिलाओं की कम से कम 66 सीटें आरक्षित होंगी।जानकारों के मुताबिक राजस्थान की पहली विधानसभा में कुल 7 महिला विधायक चुनी गई थीं। वर्तमान विधानसभा यानी 2018 में हुए चुनाव में 27 महिलाएं विधायक चुनी गईं। अब यदि आरक्षण लागू होता है 27 का आंकड़ा सीधे 66 तक पहुंच जाएगा।
सांसद 3 से 13 तक होगी संख्या
राजस्थान के वर्तमान में 3 सांसद है। तीनों बीजेपी की लोकसभा सदस्य हैं। कुल 25 सीटों में से 3 महिलाओं के पास हैं। वहीं 10 राज्यसभा की सीटों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। नई आरक्षण व्यवस्था लागू होती है तो लोकसभा में 8-9 सीटे और राज्यसभा में 3-4 सीटें रिजर्व होंगी। यानी संसद में राजस्थान में 3 से 13 महिलाओं का प्रतिनिधित्व संभव है। राजस्थान में कुल 25 लोकसभा सीटें हैं। यदि महिला आरक्षण बिल पास होता है तो महिलाओं के लिए आठ सीटें आरक्षित हो जाएंगी। ऐसे में प्रदेश की तरफ से संसद में महिला सांसदों की संख्या बढ़ जाएगी। फिलहाल राजस्थान से तीन महिला सांसद है। ये तीनों ही सांसद बीजेपी से है। कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुला था।