November 29, 2024

कंगल पाकिस्तान के पास घाटी में आतंक मचाने के लिए कहां से आ रही फंडिंग?

0

नईदिल्ली

साल 2022 में भारी इंतजार के बाद पाकिस्तान को इंटरनेशनल संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने ग्रे लिस्ट से हटाया था. लिस्ट में वे देश होते हैं जहां टेरर फंडिंग सबसे ज्यादा होती है. आतंकियों पर कार्रवाई न करने पर देश ब्लैक लिस्ट में चला जाता है, जिसके बाद कोई भी इंटरनेशनल संस्था उस देश को लोन नहीं देती है.

लोन के लिए आतंक पर कसी थी लगाम

ग्रे लिस्ट में आने के बाद से कोई भी पाकिस्तान में अपने पैसे फंसाने से डर रहा था. ये देखते हुए उसने टैरर पर थोड़ा-बहुत एक्शन लिया और लिस्ट से बाहर आ गया, लेकिन एक बार फिर उसका बर्ताव पहले जैसा दिख रहा है. कश्मीर में आतंकी गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं. हालिया एनकाउंटर कश्मीर के इतिहास में तीसरा सबसे लंबा एनकाउंटर माना जा रहा है. यानी जाहिर तौर पर आतंकी पाकिस्तान से तगड़ी ट्रेनिंग लेकर आए होंगे.

वहां से भुखमरी की खबरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं. वहां के अखबार डॉन के मुताबिक, मार्च 2022 तक पाकिस्तान का कुल कर्ज लगभग 43 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपए हो चुका था. इसके बाद भी आतंक के लिए पैसों का जुगाड़ हो ही जाता है. इसके एक नहीं, कई स्त्रोत हैं.

कहां-कहां से आते हैं पैसे

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) के अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान सिर्फ कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों पर सालाना 24 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करता है. ये पैसे एक गुट को नहीं, बल्कि कई अलग-अलग चरमपंथी संगठनों में बांटा जाता है.

सबका जिम्मा पहले से तय होता है कि कितने पैसे, किस काम पर खर्च करने हैं. इसमें कश्मीर में रह रहे लोगों का मन बदलने से लेकर उन्हें उकसाकर आतंक का हिस्सा बनाने तक कई टास्क होते हैं. इसके बाद ट्रेनिंग दी जाती है और हथियार मुहैया कराए जाते हैं. इन सब कामों पर पाकिस्तान से भारी पैसे खर्च होते हैं.

अलग-अलग संस्थाएं टैरर फंडिंग को लेकर अलग आंकड़े देती हैं. जैसे कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान लगभग 40 करोड़ रुपए लगाता है. वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI की मानें तो ये नंबर इससे कई गुना ज्यादा है.

क्या सरकार भी करती है फंडिंग
आतंकवाद सीधे-सीधे स्टेट-स्पॉन्सर्ड नहीं है. इसे इस्लामिक स्टेट (ISIS) से पैसे मिलते रहे. सरकार पर आरोप ये है कि वो सबकुछ जानते हुए भी नजरअंदाज करती है. उसकी नाक के नीचे ये गुट फल-फूल रहे हैं और वो एक्शन नहीं लेती.

कौन-कौन से आतंकी समूह हैं पाकिस्तान में
यहां  लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-ओमर, जैश-ए-मोहम्मद, हरकतुल मुजाहिद्दीन, सिपाह-ए-सहाबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जुंदल्ला, इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस जैसे गुट हैं. इनके अलावा कई विदेशी टैरर ग्रुप भी यहां डेरा डाले हुए हैं, जिनका संबंध इस्लामिक चरमपंथ से है. माना जाता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस की भी इसमें मिलीभगत होती है. वो भी आतंकियों को ट्रेनिंग देने का काम करती है.

इन तरीकों से आते हैं पैसे

इसके कई सोर्स हैं. इसमें नशे का कारोबार सबसे ऊपर है. नार्कोटिक्स और टेररिज्म का गठजोड़ कुछ ऐसा है कि इसने एक नए टर्म नार्को-टेररिज्म को जन्म दे दिया. आतंकी गुट नशे के कारोबार से ही सबसे ज्यादा कमाई करते हैं. इससे आए पैसे टैरर फंडिंग में जाते हैं. यही वजह है कि कश्मीर में नशे का कारोबार इतना फला-फूला. नब्बे के दशक से ही पाकिस्तानी आतंकी यहां के युवाओं तक नशा पहुंचाने लगे थे. इसका एक मकसद उन्हें भटकाकर अपने साथ मिला लेना था, तो दूसरा मकसद उनके दिमाग और शरीर को कमजोर करना भी रहा.फिरौती, नकली करेंसी का कारोबार जैसे कामों से भी पैसे आते हैं. कश्मीर में कई बार नकली नोटों की खेप पकड़ी जा चुकी.

चैरिटी के नाम पर भी वसूली

कश्मीर में अस्थिरता लाने के लिए पाकिस्तान से जो एक्टिविटी होती है, उसमें कुछ हिस्सा कथित चैरिटी का भी है. धर्म के लिए चैरिटी के नाम पर चरमपंथी गुट अमीरों से पैसों की वसूली करते हैं. कराची में ऐसी कई संस्थाएं हैं, जो जिहाद फंड के नाम पर पैसे मांगती हैं. आमतौर पर आतंकी संगठन अपना उद्देश्य इस्लाम की रक्षा और दुनिया में इस्लाम के विस्तार को बताते हैं.

टैरर फंडिंग को लेकर कई कंस्पिरेसी थ्योरीज भी

लंबे समय तक सऊदी शक के घेरे में रहा. अमेरिका पर हुए अटैक के बाद ओसामा बिन लादेन ने पाकिस्तान में शरण ली थी. तब भी पाकिस्तान का सऊदी और आतंक से कनेक्शन साफ हो गया था. हालांकि कुछ सालों से सऊदी का पूरा ध्यान अपनी इमेज साफ करने और टूरिज्म को बढ़ाने पर है, इसलिए वो पाकिस्तान से काफी दूर दिख रहा है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *