November 16, 2024

नये रोल में नजर आएंगे संदीप त्रिपाठी, कुश्ती एक प्रेम कथा में दिखेगा माँ के प्रति प्रेम

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रायपुर

फिल्म कबड्डी तो आपने देखी ही होगी जिस तरह उसमें फुहड़पन देखने को मिला था उससे सबक लेकर छालीवुड फिल्म अभिनेता संदीप त्रिपाठी को लेकर निर्देशक स्व. एजाज वारसी ने कुश्ती एक प्रेम कथा का निर्माण किया है। फिल्म का नाम भले ही कुश्ती एक प्रेम कथा रखा गया है लेकिन असल कहानी यह है कि इसमें बेटे और माँ का प्रेम पूरी तरह से देखने को मिलेगा। फिल्म 2024 में रिलीज होगी।

संदीप त्रिपाठी ने बताया कि इस साल सिनेमा घरों में रिलीज हुई कबड्डी फिल्म से बहुत ही अलग और शानदार मूवी साबित होगी कुश्ती एक प्रेम कथा। इस फिल्म के अलावा उनकी तीन और फिल्में बहुत जल्द ही सिनेमा घरों में रिलीज होने वाली है और 22 सितंबर को देख झन फंस जबे रिलीज हो रही है। लेकिन बात कुश्ती एक प्रेम कथा की करूं तो यह मेरे लिए बहुत ही खास है क्योंकि इसमें माँ और बेटे का जो प्रेम देखने को मिला वह रुला देने वाला था। शूटिंग के दौरान भी मेरी आँखें से कई बार आंसू तक निकल आया था। यह फिल्म त्रिपाठी प्रोडक्शन के बैनर तले बनी है और 2024 में छत्तीसगढ़ के सभी सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

फिल्म के कहानी के बारे मेंं बताते हुए संदीप ने बताया कि एक गांव में दो मुखिया रहते है और उनके बीच दुश्मनी इतनी रहती है कि वह एक-एक दूसरे के साथ कुश्ती लडऩे के लिए हमेशा तैयार रहते है और एक – दूसरे को पटखनी देने के लिए दोनों मुखिया किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते है। इसी बीच जब एक मुखिया बार-बार के हार को सहन नही कर पाता है तो वह गाँव के एक लोहार को कुश्ती के वह सभी दाँव-पेंच सिखाता है और फिर उसे कुश्ती के मैदान में उतारता है। एक-दो बार तो वह जीत जाता है लेकिन लोहार की माँ किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित रहती है और उसके इलाज लिए 5 लाख रुपयों की जरुरत पड़ता है। अपनी माँ को इस बीमारी से बचाने के लिए वह दूसरे मुखिया से सौदा करता है और कुश्ती के रिंग में उतरने के बाद वह हार जाता है।

हारने के गम को पहला मुखिया एक बार फिर सहन नहीं कर पाता और अपने गुर्गों से पिटाई करवाकर उसे मर गया करके नदी में फेंक देता है। लेकिन वह मरा नहीं रहता है और बाली के रुप में वह गांव आता है और बीमार माँ को बचाने के लिए वह एक बार फिर कुश्ती में उतारता है और जीतकर अपनी माँ और किस वजह से वह कुश्ती को हारा था, दुश्मनों ने उन्हें अधमरे हालत में छोड़कर चला जाता है उसका बदला लेता है। फिल्म यह सीख देगी कि हमें माँ की सेवा करने के लिए जो कर्ज उतारना पड़े वह कम है, चाहे उसके लिए हमें किसी भी हद तक क्यों न जाना पड़े। इस फिल्म के अलावा 22 सितंबर को उनकी चौथी फिल्म देख झन फंस जबे रिलीज होने वाली है।

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