भारत से अपने डिप्लोमैट्स को भी वापस बुला रहा कनाडा, रिश्ते खराब करने वाला तीसरा कदम
कनाडा
खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाने वाला कनाडा अब रिश्तों को ही पटरी से उतार रहा है। भारतीय डिप्लोमैट को बाहर करने और फिर यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी करने जैसी हरकत करने वाला कनाडा अब अपने दूतावास से कुछ राजनयिकों को वापस बुला रहा है। कनाडा की इन हरकतों के जवाब में भारत ने भी उसके एक खुफिया अधिकारी को बाहर किया और अपने उन लोगों के लिए एडवाइजरी भी जारी की, जो कनाडा जाने वाले हों। माना जा रहा है कि कनाडा के इस नए कदम का जवाब भी भारत की ओर से दिया जा सकता है।
कनाडा के एक अखबार नेशनल पोस्ट ने विदेश मंत्रालय के हवाले से लिखा है, 'मौजूदा माहौल में हम राजनयिकों की सुरक्षा के लिहाज से यह ऐक्शन ले रहे हैं। कुछ राजनयिकों को तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर धमकियां भी मिली हैं। फिलहाल हम भारत में मौजूद अपने स्टाफ की सुरक्षा का आकलन कर रहे हैं।' कनाडाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हमने फिलहाल कनाडा में अपने स्टाफ की मौजूदगी को कम करने का फैसला लिया है।' कनाडा ने भारत में स्थित अपने उच्चायोग और कौंसुलेट्स के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की मांग भी की है।
दिल्ली में उच्चायोग के अलावा चंडीगढ़, मुंबई, बेंगलुरु में कनाडा के कौंसुलेट दफ्तर हैं। कनाडा के प्रवक्ता ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि विएना संधि का पालन करते हुए भारत हमारे डिप्लोमैट्स को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएगा। बता दें कि भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर कहा है कि वे कनाडा के उन इलाकों में जाने से सावधान रहें, जहां भारत विरोधी हरकतें हुई हैं या हो सकती हैं। वहीं कनाडा ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर कहा था कि वे जम्मू-कश्मीर जाने से बचें क्योंकि वह अनिश्चितता का माहौल है। इसके बाद ही भारत ने भी एडवाइजरी जारी की।
बता दें कि कनाडा ने इस तरह से कदम उठाकर भारत के साथ अपने रिश्तों को निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। इसी के चलते भारत ने भी जवाबी ऐक्शन लिया है। इस बीच कनाडा में भी तनाव बढ़ गया है। सिख कट्टरपंथी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस ने हिंदू समुदाय के लोगों को कनाडा छोड़ने की धमकी दी है। इसके चलते वहां रह रहे हिंदू समुदाय के लोगों में चिंता और रोष है। कनाडा के हिंदू सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि सिख्स फॉर जस्टिस ने हिंदुओं और सिखों को बांटने की कोशिश की है। उन्होंने भी डर का जिक्र करते हुए कहा कि इनके आगे तो वे सिख भी नहीं बोलते हैं, जो खालिस्तान के खिलाफ हैं। लेकिन वे सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहना चाहते।