November 28, 2024

स्टालिन के खिलाफ याचिका पर आज SC में सुनवाई, सनातन धर्म पर बयान देकर बुरा फंसे उदयनिधि

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें तमिलनाडु सरकार को मंत्री उदयनिधि स्टालिन और सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन के आयोजकों के खिलाफ केस दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। पिछले सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का निर्देश देने वाला कोई भी आदेश पारित करने से इन्कार कर दिया था। वकील जी. बालाजी के माध्यम से दायर याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि दो सितंबर को आयोजित सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन में राज्य के मंत्रियों की भागीदारी असंवैधानिक थी, जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है।याचिका में यह भी मांग की गई है कि हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक राज्य के माध्यमिक स्कूलों में हिंदू धर्म के खिलाफ ऐसे सम्मेलन नहीं होने चाहिए।

CJI ने सूचीबद्ध उल्लेख को किया था अस्वीकार
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का निर्देश देने वाला कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने असूचीबद्ध उल्लेख को स्वीकार नहीं किया और वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू से मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए एसओपी के तहत बताई गई प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा।

क्या तमिल संगठन लिट्टे से जुड़े हैं तार
वकील जी बालाजी के माध्यम से दायर याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई कि 2 सितंबर को आयोजित सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन में राज्य के मंत्रियों की भागीदारी असंवैधानिक थी, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है। इसके अलावा इसने यह जानने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग की कि क्या सीमा पार और भारत के बाहर विशेषकर श्रीलंका तमिल लिट्टे फंड से आतंकी फंडिंग का कोई तत्व शामिल है।

साथ ही याचिका में मांग की गई है कि हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक राज्य के माध्यमिक स्कूलों में किसी भी हिंदू धर्म के खिलाफ ये सम्मेलन नहीं होने चाहिए। इससे पहले, स्टालिन जूनियर के खिलाफ उनके विवादास्पद बयानों को लेकर कानूनी कार्रवाई शुरू करने की मांग करने वाला एक समान आवेदन दिल्ली स्थित एक वकील द्वारा दायर किया गया था।

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