यूपी में यहां सैकड़ों शक के मारे ढूंढ़ रहे पापा होने का सबूत, इस टेस्ट से पता करवा रहे सच
यूपी
संदेह तमाम घर-आंगन बर्बाद कर रहा है। सैकड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने बच्चे अपने नहीं लगते। उन्हें शक है कि बच्चे किसी और की पैदाइश हैं। कानपुर शहर की लगभग हर पैथलैब में महीने में एक-दो ऐसे लोग बच्चे लेकर पहुंच रहे हैं। वे चाहते हैं कि चुपचाप डीएनए जांच हो जाए। पता चल जाए कि बच्चा उनका है या नहीं। गाहे-ब-गाहे शक की सताई महिलाएं भी पहुंचती हैं। वे चाहती हैं कि बच्चे की डीएनए जांच रिपोर्ट मिल जाए ताकि वे पति को अपनी वफा का सबूत दे सकें।
नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.एमके सरावगी कहते हैं, शहर में डीएनए टेस्ट की सुविधा नहीं है, लेकिन अक्सर ऐसे लोग आते हैं। वे चाहते हैं कि साथ लाए बच्चे और उनका सैंपल लेकर डीएनए जांच कर दी जाए। हम ऐसे लोगों को वापस भेज देते हैं। एक महिला डॉक्टर ने बताया कि हर दो तीन महीने में एक-दो महिलाएं आ जाती हैं। कई बार वे हमारी पुरानी मरीज भी होती हैं। घर में संदेह पर उनका उत्पीड़न हो रहा होता है। वे चाहती हैं कि डीएनए जांच से पति के सामने साबित कर दें कि बच्चा उसका ही है।
अफसोस की बात यह कि हम उनकी मदद नहीं कर सकते। ऐसे टेस्ट कोर्ट के आदेश पर ही एडवांस फारेंसिक लैब में होते हैं। एफसी पैथालाजी के संचालक डॉ.देव सिंह ने कहा कि महीने में दो-तीन केस आते हैं पर उन्हें वापस कर देते हैं। उन्हें कोर्ट जाने की सलाह सभी को दी जाती है। पालीवाल डायग्नोस्टिक सेन्टर के डायरेक्टर, डॉ. उमेश पालीवाल ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि चुपचाप बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने की चाह लेकर लोग आते हैं। यह कोर्ट के आदेश पर ही होता है। उन्हें लौटा देते हैं। यह लोग जांच क्यों कराना चाहते हैं, यह खुद ही समझा जा सकता है।