कावेरी जल विवाद: सड़कों पर लेट कर लगाए नारे, मांड्या में किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों का विरोध प्रदर्शन
बेंगलुरु
कर्नाटक में कावेरी नदी जल बंटवारे के मुद्दे पर किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने मांड्या में विरोध प्रदर्शन किया। समाचार द्वारा जारी किए गए वीडियो में सभी प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर लेटे हुए और जोर-जोर से नारे लगाते हुए देखा जा रहा है। वहीं, किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों द्वारा बुलाए गए 'बंद' के मद्देनजर मांड्या में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
कर्नाटक ने कावेरी जल विवाद में दिए गए निर्णय के मुताबिक उपलब्ध जल में से 1,49,898 क्यूसेक पानी कर्नाटक द्वारा छोड़ा गया है. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने शीर्ष अदालत के समक्ष हलफनामा दायर कर कहा था कि कर्नाटक ने 12 अगस्त से 26 अगस्त तक बिलिगुंडुलु में कुल 1,49,898 क्यूसेक पानी छोड़कर सीडब्ल्यूएमए के निर्देशों को पूरा किया है.
हलफनामे में कही ये बात
प्राधिकरण ने अपने हलफनामे में कहा: “11 अगस्त को आयोजित 22वीं बैठक में, यह निर्णय लिया गया कि कर्नाटक राज्य को कृष्णा राजा सागर और काबिनी जलाशयों से एक साथ पानी छोड़ना सुनिश्चित करना होगा, ताकि बिलीगुंडुलु में प्रवाह का एहसास हो सके. 12 अगस्त (सुबह 8 बजे) से अगले 15 दिनों के लिए 10000 क्यूसेक की दर से पानी छोड़ना होगा.
प्राधिकरण ने आगे कहा कि '28 अगस्त को आयोजित कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) की 85वीं बैठक में और उसके बाद 29 अगस्त को आयोजित सीडब्ल्यूएमए की 23वीं बैठक में, कर्नाटक के सदस्य ने सूचित किया कि जैसा कि11 अगस्त को सीडब्ल्यूएमए ने अपनी 22वीं बैठक में निर्देश दिया था वो पूरा किया. अगले 15 दिनों के लिए बिलिगुंडुलु में 10000 क्यूसेक के प्रवाह की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए, कर्नाटक राज्य ने 12 अगस्त से 26 अगस्त तक बिलिगुंडुलु में कुल 149898 क्यूसेक पानी छोड़ कर सीडब्ल्यूएमए के निर्देशों को पूरा किया है.'
दशकों से चला आ रहा है विवाद
पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसके पास इस मुद्दे पर कोई विशेषज्ञता नहीं है और कर्नाटक द्वारा किए गए पानी की मात्रा पर कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) से रिपोर्ट मांगी थी. यह मामला दशकों से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक विवादास्पद मुद्दा रहा है और कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर उनके बीच लड़ाई चल रही है, जो क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए सिंचाई और पीने के पानी का एक प्रमुख स्रोत है.