इंदौर नगर निगम का बड़ा फैसला, अब पत्राचार में होगा सिर्फ “भारत ” का प्रयोग
इंदौर
देश में बीते दिनों इंडिया बनाम भारत का विवाद जोरों पर था। कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि केंद्र की मोदी सरकार इंडिया का नाम बदलकर भारत कर सकती है। जिसका कारण विपक्ष द्वारा अपने अलायंस का नाम I.N.D.I.A. रखना बताया जा रहा था। लेकिन सरकार के कई मंत्रियों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया था।
वहीं, अब मिली जानकारी के अनुसार, इंदौर नगर निगम की कार्रवाई और पत्राचार में इंडिया नाम के स्थान पर भारत का उपयोग किया जाएगा। यह निर्णय शुक्रवार को महापौर परिषद की बैठक में लिया गया है। इस संबंध में प्रस्तुत प्रस्ताव को सभी सदस्यों ने अपनी मंजूरी भी दे दी है।
भारत बनाम इंडिया विवाद
बीते दिनों भारत में आयोजित हुए G20 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत आने वाले सभी विदेशी नेताओं को रात्रिभोज के लिए आमंत्रण भेजा था। इस आमंत्रण पत्र में 'इंडिया के राष्ट्रपति' की जगह 'भारत के राष्ट्रपति' टाइटल का इस्तेमाल किया गया था। जिसके बाद से भारत और इंडिया नाम को लेकर विपक्षी नेताओं की अलग-अलग तरह की बयानबाजी सामने आई थी।
वहीं, दूसरी ओर G20 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखी नेमप्लेट में भी इंडिया की जगह भारत नाम लिखा गया था। जिसके बाद इसकी फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी और इस पर लोगों की अलग अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं और इस मामले ने तूल पकड़ ली थी।
जयशंकर ने विपक्ष को दी थी संविधान पढ़ने की सलाह
बता दें कि जी-20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के स्थान पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने पर सबसे पहले कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई। जिसके बाद अन्य विपक्षी दल भी यह कहते हुए हमलावर हो गए कि भाजपा विपक्षी गठबंधन के नाम I.N.D.I.A (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) से डर गई है। बल्कि यह भी कहा कि सरकार देश का नाम बदलने जा रही है।
जिसके बाद इस मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि संविधान में इंडिया दैट इज भारत का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि 'भारत' शब्द का अर्थ संविधान में भी परिलक्षित होता है। एस जयशंकर ने आगे कहा कि इंडिया दैट इज भारत, यह संविधान में है। मैं सभी को इसे पढ़ने का आग्रह करता हूं।
जयशंकर ने आगे कहा कि यह पहले ही हो जाना चाहिए था। इससे मन को बहुत संतुष्टि मिलती है। 'भारत' हमारा परिचय है। हमें इस पर गर्व है। राष्ट्रपति ने 'भारत' को प्राथमिकता दी है। यह औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने वाला सबसे बड़ा बयान है।