जयरामनगर-लटिया-अकलतरा सेक्शन जल्द होगा ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से लैस
बिलासपुर
बदलते वक्त के साथ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अपने सिग्नल सिस्टम में भी बदलाव किया है। इसी क्रम में अब स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली यानी आॅटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। आॅटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के निश्चित दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं। नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पर सिग्नल लगाए गए हैं। जिसके फलस्वरूप सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहती है। अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेंगी और वो जहां है वहीं रुक जाएंगी।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में बिलासपुर से दाधापारा, बिल्हा, गतौरा, जयरामनगर, उसलापुर, घुटकू, चांपा से कोरबा, नागपुर से भिलाई के 362 किलो मीटर सेक्शन आॅटोमैटिक सिग्नल प्रणाली से लैस है। दिनांक 22 एवं 23 सितम्बर, 2023 को जयरामनगर-लटिया-अकलतरा सेक्शन में आॅटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के पूर्ण होने से जयरामनगर-लटिया-अकलतरा के बीच 13 किलोमीटर रेलखंड आॅटोमैटिक सिग्नल प्रणाली से लैस हो जाएगा।
आॅटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर एक किमी के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चलती है। इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ गई है। वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ता है। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चलती है। इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहती है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में आॅटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम: इस कड़ी मे नागपुर से भिलाई 279 किलोमीटर, बिलासपुर – जयरामनगर के मध्य 14 कि.मी., बिलासपुर – बिल्हा के मध्य 16 कि.मी. एवं बिलासपुर – घुटकू के मध्य 16 कि.मी., चांपा से कोरबा 37 किलोमीटर जैसे अनेक रेल खंडो में आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू की गई है। साथ ही कई महत्वपूर्ण रेलखंडों में इस प्रणाली को स्थापित करने का कार्य तेजी से चल रहा है।
आॅटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू हो जाने से बहुआयामी लाभ रहा है। इससे एक ओर गाडि?ों की रफ़्तार तो बढ़ रही है, वही दूसरी ओर लागत की दृष्टि से भी यह काफी कम खचीर्ला है। पहले कॉपर के केबल लगाये जाते थे जिसमे लागत ज्यादा आती थी। आजकल आॅप्टिकल फाईबर केबल लगाये जा रहे है जिसकी लागत भी कम होती है एवं इसके चोरी होने का भी भय नही रहता है। यह रिंग प्रोटेक्टेड केबल होते है जो जल्द खराब भी नहीं होते। इस प्रकार से दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के सभी महत्वपूर्ण रेल खंडों मे इस प्रकार की आॅप्टिकल फाईबर केबल के साथ आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू करने की योजना है, जिससे कि कम लागत मे ज्यादा आउटपुट की प्राप्ति हो साथ ही साथ ही ट्रेनों की गति में भी वृद्धि हो।
संरक्षित ट्रेन संचालन में सिग्नलिंग सिस्टम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। रेलवे में उपयोग में आने वाले उपकरणों का उन्नयन और प्रतिस्थापन एक सतत प्रक्रिया है, जिसे आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों की उपलब्धता एवं परिचालन आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है। समय समय पर ट्रेन संचालन में संरक्षा को और बेहतर बनाने तथा लाइन क्षमता में बढ़ोतरी के उद्देश्य से सिग्नलिंग सिस्टम का आधुनिकीकरण किया जाता है, इसी कड़ी में ट्रेनों की गति तेज करने और सुरक्षित सफर के लिए सिग्नल सिस्टम को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस सिस्टम में वर्तमान आधारभूत संरचना के साथ रेलवे लाइन की क्षमता बढ़ जाएगी।