November 26, 2024

कनाडा की दुनिया के आगे पोल खोलेगा भारत, संयुक्त राष्ट्र में बोल सकते हैं एस. जयशंकर

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नई दिल्ली
खालिस्तानी आतंकियों को शरण देने वाले कनाडा की पोल भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर खोलने की तैयारी कर रहा है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर का भाषण है। कयास लगाए जा रहे हैं कि वह कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के उन आरोपों का जवाब दे सकते हैं, जिनमें उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारतीय एजेंसियों पर लगाया था। निज्जर की जून में कनाडा में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। माना जा रहा है कि एस. जयशंकर अपने भाषण में कनाडा को खालिस्तान पर घेर सकते हैं और उस पर आतंकियों को पालने के कुछ सबूतों का भी जिक्र हो सकता है।

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या का आरोप भारतीय एजेंसियों पर मढ़ तो दिया था, लेकिन अब तक कोई सबूत नहीं दे पाए हैं। माना जा रहा है कि कनाडा की सिख राजनीति में खालिस्तानी तत्वों के हावी होने की वजह से ट्रूडो अपने आरोपों पर कायम हैं, भले ही उनके पास कोई सबूत नहीं है। इस बीच चर्चा है कि ट्रूडो अब निज्जर की हत्या को लेकर कुछ भारतीय नामों का जिक्र कर सकते हैं। कनाडा में सिख राजनीति का कितना असर है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी जब 2015 में वहां गए तो पूर्व पीएम स्टीफन हार्पर ने उन्हें एक गुरुद्वारे में चलने का आग्रह किया था।

भारत के खिलाफ खालिस्तानियों का फ्लॉप शो, रैली में पहुंचे ही नहीं लोग
यह गुरुद्वारा ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में था। यह अलग बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी जब पहुंचे तो वहा उनके समर्थक भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। जस्टिन ट्रूडो ने जिस तरह कनाडा की संसद में भारत के खिलाफ आरोप लगाए थे, उसने दोनों देशों के रिश्ते पटरी से उतार दिए हैं। यही नहीं अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे 'फाइव आइज' संगठन के देश भी इस मसले पर बंटे हुए हैं। माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र की मीटिंग से इतर वह वॉशिंगटन के साथ भी इस मसले को उठा सकते हैं।

भारत ने दी थी कनाडा को लिस्ट, पर चुप्पी ही साध बैठा
गौरतलब है कि भारत सालों से कनाडा पर आरोप लगा रहा है कि उसने खालिस्तानी तत्वों को पाल रखा है। इनमें से ही एक हरदीप सिंह निज्जर भी था। भारत ने 2018 में ही एक लिस्ट कनाडा के पीएम को सौंपी थी, जिसमें उन तत्वों का जिक्र था, जो वहां ऐक्टिव हैं और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। लेकिन इन पर कनाडा ने आज तक कोई ऐक्शन नहीं लिया। किसी भी खालिस्तानी का प्रत्यर्पण तक नहीं कराया गया।

 

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