अफगानी करेंसी का धमाल, ग्रोथ रेट में अमेरिका, चीन को भी छोड़ा पीछे
काबुल
अगर आतंकवाद की बात होती है, तो सबसे पहले जो नाम याद आता है , वो है तालिबान। साल 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया। तालिबान के कब्जे के बाद से वहां की हालात लगातार बदतर ही हुए है। चाहे वहां की महिलाओं की बात हो, सुरक्षा की या फिर मानव अधिकारों की। तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान की स्थिति में बिगड़ती ही चली गई, लेकिन अफगानी करेंसी को लेकर को रिपोर्ट आई है, वो हैरान कर देने वाली है। तालिबान के शासन के बाद से अफगानिस्तान की करेंसी अफगानी का प्रदर्शन बेहतर रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर तिमाही में अफगानिस्तान की करेंसी अफगानी ने दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
अफगानी का प्रदर्शन सबसे अच्छा
रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की करेंसी अफगानी के मूल्य में 9 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। तालिबान के शासन के बाद से भले ही अफगानिस्तान की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति चिंताजनक बनी हो, लेकिन अफगानी करेंसी की मजबूती ने सबको हैरान किया है। महिलाओं के प्रति अत्याचार और मानवीय अधिकारों के दमन के चलते अफगानिस्तान का मानवीय इंडेक्स नीचे सरकता जा रहा है, लेकिन पैसों के इंडेक्स ने इसे सबसे ऊपर खड़ा कर दिया है। चीन और अमेरिकी करेंसी को भी पछाड़कर यह सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई।
चीन और अमेरिका को भी पछाड़ा
सितंबर तिमाही में अफगानी करेंसी ने दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। अफगानी करेंसी के मूल्य में 9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं इस साल में अब तक इस करेंगी ने कुल 14 फीसदी का ग्रोथ हासिल किया है। पहले ये तीसरे नंबर पर थी, लेकिन कोलंबिया और श्रीलंका की करेंसी को पीछे छोड़कर अब यह नंबर 1 पर पहुंच गई है। सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली करेंसी का मतलब उसका रंग-रूप नहीं बल्कि मार्केट में उसका प्रचलन बढ़ना है। मार्केट में इसकी मौजूदगी बढ़ी।
क्यों आई अफगानी करेंसी में तेजी
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण अफगानिस्तान वैश्विक वित्तीय प्रणाली से अलग-थलग पड़ा है। वहां बेरोगजारी, गरीबी उच्च स्तर पर पहुंच गई है। अफगानिस्तान के दो तिहाई से अधिक परिवार अपनी जरूरत की चीजें भी पूरा नहीं कर पाते हैं। आर्थिक दिक्कतों की वजह से उसे काफी वित्तीय मदद मिलती है। सयुंक्त राष्ट्र साल 2021 से ही अफगानिस्तान को 4 करोड़ रुपये भेज रहा है। वैश्विक प्रतिबंधों के कारण उसे अरबों डॉलर की मानवीय मदद मिलती रही है। वहीं एशियाई पड़ोसी देशों के साथ व्यापर में बढ़ोतरी के चलते उसकी करेंसी में मजबूती आ रही है। तालिबान ने अफगानी करेंसी को मजबूती देने के लिए डॉलर और पाकिस्तानी रूपये में रोक लगा दी। डॉलर को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए कड़े प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया। जिसके कारण अफगानी करेंसी को मजबूती मिली है।