September 23, 2024

जल्द ही नर्मदा नदी के जल से अपने खेत सींच सकेंगे घटि्टया और तराना तहसील के किसान

0

उज्जैन

उज्जैन जिले की घटि्टया और तराना तहसील के किसानों के लिए खुशखबरी है। वे इस साल रबी सीजन (अक्टूबर से दिसंबर) में अपने खेत नर्मदा नदी के जल से सींच सकेंगे। पानी के लिए उन्हें निजी बोरिंग या कुओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। ये दावा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कार्यपालन यंत्री देवराज पटेल ने किया है।

नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देश्यीय योजना पूर्ण होने की कगार पर

उन्‍होंने कहा है कि 1856 करोड़ रुपये की नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देश्यीय योजना पूर्ण होने की कगार पर है। पाइपलाइन की टेस्टिंग जारी है। घट्टिया के 7 और तराना के 77 गांवों के खेतों में पाइपलाइन से नर्मदा का पानी पहुंचाने का इंतजाम हो गया है। जहां तक सवाल नर्मदा का जल उज्जैन, उन्हेल, नागदा शहर के लोगों को घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग के लिए दिए जाने का है तो इसके लिए पाइपलाइन बिछा दी गई है। इंतजार नगरीय निकाय और उद्योग संघ से अनुबंध होने का है।

100 गांवों की 30 हजार हेक्टेयर जमीन

मालूम हो कि उज्जैन जिले की घटि्टया एवं तराना तहसील के 100 गांवों की 30 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करने और लोगों की पेयजल एवं औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 26 सितंबर 2018 को नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देशीय योजना का भूमिपूजन किया था।

तब कहा गया था कि ओंकारेश्वर जलाशय से 15 क्यूसेक (15 घन मीटर प्रति सेकंड) नर्मदा का जल शिप्रा, गंभीर और काली सिंध नदी के कछारों तक 1400 मिलीमीटर व्यास की पाइपलाइन बिछाकर पहुंचाया जाएगा। इससे उज्जैन, शाजापुर, मक्सी में जल संकट सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। प्रोजेक्ट 42 महीने में यानी जनवरी-2022 तक पूरा जाना था मगर नहीं हो सका। प्राधिकरण ने कारण दो बताए हैं। पहला, दो साल में दो मर्तबा लगा लाकडाउन। दूसरा, किसानों की जमीन अधिग्रहित करने में आई अड़चन। अनुबंधित एलएंडटी कंपनी 98 प्रतिशत काम पूर्ण कर चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *