November 24, 2024

सीएम सोरेन ने सरना धर्म कोड लागू करने लिखा पीएम को पत्र

0

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने पीएम से आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की है। सीएम ने अपने एक्स ( पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर ट्वीट पोस्ट किया है, जिसमें पीएम मोदी को टैग किया है। इसके साथ ही पत्र की फोटो ट्वीट पर साझा की है। मुख्यमंत्री सोरेन ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री से संघर्षरत आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा करने के लिए सरना धर्म कोड लागू करने की मांग पर सकारात्मक फैसला लेने का आग्रह किया है।
सीएम सोरेन ने एक्स पर ट्वीट पोस्ट कर लिखा,  'देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी/सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है। मैंने पत्र लिखकर माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी से देश के करोड़ों आदिवासियों के हित में आदिवासी/सरना धर्म कोड की चिरप्रतीक्षित मांग पर यथाशीघ्र सकारात्मक निर्णय लेने की कृपा करने का आग्रह किया है।
मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री जी समाज के वंचित वर्गों के कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं, उसी प्रकार इस देश के आदिवासी समुदाय के समेकित विकास के लिए पृथक आदिवासी/सरना धर्मकोड का प्रावधान सुनिश्चित करने की कृपा करेंगे।
 देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी/सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है।
   मैंने पत्र लिखकर माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी से देश के करोड़ों आदिवासियों के हित… pic.twitter.com/svvzDaTq7C — Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 27, 2023
क्या है पत्र में सीएम का आग्रह
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है कि 'आदिवासी समाज के लोग प्राचीन परंपराओं और प्रकृति के उपासक हैं तथा पेड़ों, पहाड़ों की पूजा और जंगलों को संरक्षण देने को ही अपना धर्म मानते हैं।
साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 12 करोड़ आदिवासी रहते हैं। झारखंड प्रदेश जिसका मैं प्रतिनिधित्व करता हूं, एक आदिवासी बहुल राज्य है, जहां इनकी संख्या एक करोड़ से भी अधिक है।
झारखंड की एक बड़ी आबादी सरना धर्म को मानने वाली है। इस प्राचीनतम सरना धर्म का जीता-जागता ग्रंथ स्वयं जल, जंगल, जमीन और प्रकृति है। सरना धर्म की संस्कृति, पूजा पद्धिति, आदर्श और मान्यतताएं प्रचलित सभी धर्मों से अलग है। सीएम ने सम्मान के साथ आगे लिखा कि झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा प्रकृति पर आधारित आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक अस्तित्व के रक्षा की चिंता निश्चित तौर पर एक गंभीर सवाल है'।
क्यों जरूरी है सरना धर्म कोड
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सीएम ने बताया कि 'आठ दशकों से झारखंड के आदिवासियों की जनसंख्या के विश्लेषण से पता चलता है कि इनकी जनसंख्या का प्रतिशत झारखंड में 38 से घटकर 26 प्रतिशत ही बचा है।
इनकी जनसंख्या के प्रतिशत में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिसके फलस्वरूप संविधान की पांचवी एवं छठी अनुसूची के अंतर्गत आदिवासी विकास की नीतियों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।'
उन्होंने लिखा कि सरना अथवा प्रकृति पूजक आदिवासियों की पहचान के लिए और उनके संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के लिए अलग आदिवासी/सरना कोड अत्यावश्यक है। अगर यह कोड मिलता है तो इनकी जनसंख्या का स्पष्ट आकलन हो सकेगा और हम आदिवासियों की भाषा, संस्कृति, इतिहास का संरक्षण एवं संवर्धन हो पाएगा। साथ ही हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी।'

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *