September 23, 2024

जमुई सीट पर मांझी बिगाड़ सकते हैं चिराग़ का खेल, जानिए क्या है चुनावी समीकरण

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बिहार
बिहार में 'INDIA और NDA गठबंधन' के नेता ने टिकट बंटवारे से पहले ही लोकसभा सीट पर दावेदारी ठोकना शुरू कर दिया है। 'इंडिया गठबंधन' के सहयोगी दल कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने टिकट बंटवारे से पहले ही साफ़ कर दिया है, कि बिहार में कांग्रेस 10 सीटों पर चुनावी दांव खेलेगी। एनडीए गठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्च के राष्ट्रीय संरक्षक, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी टिकट बंटवारे से पहले ही इशारों-इशारों में जमुई सीट पर दावेदापी ठोक दी है। उन्होंने कहा कि जमुई लोकसभा सीट भोला मांझी की है। यहां से सबसे पहले सांसद भोला मांझी थे।
 

जमुई लोकसभा सीट मुसहर समुदाय के लोगों का है, इसलिए अगर इस सीटो को लेकर एनडीए कोई फ़ैसला लेती है, तो जमुई लोकसभा सीट हम लोगों के खाते में आनी चाहिए। ग़ौरतलब है कि बिहार की जमुई लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद, लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान हैं। चिराग पासवान इसी सीट से चुनाव लड़ने के लिए माहौल भी तैयार कर रहे हैं, वहीं अब एनडीए में शामिल हुई जीतन राम मांझी की पार्टी (HAM) ने भी जमुई सीट पर दावा ठोक किया है। मांझी ने साफ लफ्ज़ों में यह कह दिया है कि जमुई सीट उनके समुदाय की सीट है।

2024 के लोकसभा चुनाव में मुसहर समाज के लोगों को ही चुनावी मैदान में उतारा जाये। या नहीं तो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के किसी नेता को चुनाव लड़ाया जाए। सियासी समीकरण समझिए, जमुई के मौजूदा सांसद चिराग पासवान हाजीपुर सीट पर भी पार्टी का दावा ठोक रहे हैं। चिराग पासवान का कहना है कि उनके पिता रामविलास पासवान का कर्मभूमि हाजीपुर है। इसलिए वह अपने पिता की कर्मभूमि को नहीं छोड़ना चाहते हैं। वहीं जमुई सीट पर भी दावेदारी चाहते हैं, इन्हीं सियासी गणित को देखते हुए मांझी ने जमुई सीट पर दावा पेश कर दिया है।

जीतन राम मांझी के दावों के मुताबिक अगर एनडीए गठबंधन मुसहर समुदाय से जमुई में उम्मीदवार नहीं उतारती है, तो विपक्षी दल के प्रत्याशी को सियासी फ़ायदा मिल सकता है, क्योंकि मांझी और चिराग के मतभेद में मतदाता कन्फ्यूज़ होंगे, वहीं सीट पर चिराग के बनाए समीकरण पर पानी फिर जाएगा।

जीतन राम मांझी ने मुसहर समुदाय को लेकर ऐसा दावा कर दिया है कि, अगर जमुई सीट पर अब उनके लोगों चुनावी दंगल में नहीं उतारा तो मुसहर समुदाय नाराज़ हो कर, दूसरे दलों में मूव कर सकता है। नतीजा एनडीए की तरफ़ से चिराग के बनाए वोट बैंक में सेंधमारी होने के आसार हैं।

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