करोड़ों के शराब घोटाले में आबकारी अधिकारी और ठेकेदार पर लोकायुक्त ने दर्ज किया प्रकरण
उज्जैन
पूर्व सहायक आबकारी आयुक्त और शराब ठेकेदार ने मिलीभगत करते हुए शासन को 4 करोड़ 60 लाख 77 हजार का आर्थिक नुकसान पहुंचा दिया। मामले में लोकायुक्त ने दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की है।
लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा ने बताया कि पूर्व सहायक आबकारी आयुक्त और वर्तमान उपायुक्त सागर प्रमोद कुमार झा ने वर्ष 2015-16 में शराब ठेकेदार पवन जयसवाल के साथ मिलकर शासन को 4 करोड़ 60 लाख 77 हजार से अधिक का चूना लगाते हुए भ्रष्टाचार किया है। मामले की शिकायत मिलने के बाद दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम में प्रकरण दर्ज किया गया है।
प्रारंभिक जांच करने पर पाया गया कि राजपत्र में प्रकाशित नियमों के अनुसार किसी दुकान की पाक्षिक बेसिक लाइसेंस फीस, वार्षिक लाइसेंस फीस का भुगतान बकाया होने पर शराब दुकान की मदिरा प्रदाय नहीं की जा सकती। शराब ठेकेदार पवन जायसवाल द्वारा सितंबर 2015 से ही मदिरा ड्यूटी फीस जमा नहीं की गई। फीस की राशि जनवरी 2016 तक लगातार बढ़ती रही। तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त प्रमोद कुमार झा ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत करते हुए सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी किए और ठेकेदार पवन जयसवाल का नियमानुसार लाइसेंस निरस्त नहीं किया।
मार्च 2016 तक शेष राशि बढ़कर 4 करोड़ 60 लाख 77 हजार 600 हो गयी, ऑडिट रिपोर्ट में भी इस तथ्य को रेखांकित किया गया है। बावजूद सहायक आबकारी आयुक्त प्रमोद झा द्वारा ठेकेदार को सपोर्ट करते हुए अन्य दुकानों से शराब उपलब्ध कराई गई। आबकारी अधिकारी ने अपने पद का दुरूपयोग कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाते हुए शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाकर भ्रष्टाचार किया है। मामले में अब अन्य ठेकेदारों के साथ आबकारी विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका की जांच विवेचना के दौरान की जायेगी। शराब ठेकेदार पवन जायवाल देहरादून, उत्तराखण्ड का रहने वाला है।