November 24, 2024

कमलनाथ पीड़ित से मिले, डॉक्टर ने ली स्वास्थ्य संबंधी जानकारी

0

इंदौर  

उज्जैन रेप की 12 वर्षीय पीड़िता का हाल जानने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ शनिवार की सुबह इंदौर के अस्पताल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर्स से बातचीत की। इसके बाद उन्होंने कहा कि बच्ची अभी डिप्रेशन में है। उन्होंने बच्ची के बेहतर इलाज के लिए दिल्ली शिफ्ट करने का भी पूछा था, लेकिन डॉक्टर्स ने बताया कि बच्ची पहले से बेहतर है। इसलिए उसे अब दिल्ली ले जाने की आवश्यकता नहीं है।  कमलनाथ ने कहा कि जैसा की डॉक्टरों मे बताया कि बच्ची फिजिकली अभी ठीक है। आॅपरेशन के बाद रिकवरी हो रही है। लेकिन मनोस्थिति ठीक नहीं है।

वह डिप्रेशन में है। इसके लिए साइकेट्रिस्ट की व्यवस्था कर रहे हैं। यह बड़ी दु:खद घटना है। इस तरह की घटनाएं प्रदेश के नाम को कलंकित करती है। ऐसी घटनाएं पूरे प्रदेश में रोज हो रही हैं जो सामने नहीं आती। मप्र महिला अपराध में देश में नंबर वन पर है। आदिवासी अत्याचार, भ्रष्टाचार में भी मप्र देश में नंबर वन है। आज प्रदेश को चौपट, भ्रष्ट व घोटाला प्रदेश बना दिया गया है। मैंने डॉक्टरों से बच्ची का इलाज दिल्ली कराने की बात है। लेकिन डॉक्टरों कहा कि अभी इसकी जरूरत नहीं है।

पुरुष स्टाफ को देखते ही चिल्लाने लगी
पुलिस और अस्पताल स्टाफ के अनुसार यहां लाते ही बच्ची का तुरंत इलाज शुरू किया गया। इस दौरान उसके पास कोई भी पुरुष स्टाफ जाता या वहां से गुजरता तो वह चिल्लाने लगी। उसे अस्पताल की महिला स्टाफ ने नियंत्रित करने की कोशिश की तो भी उसका रवैया ऐसा ही था। इस दौरान उसके साथ आई महिला तहसीलदार व दो महिला पुलिसकर्मियों ने स्टाफ को वहां से जाने के लिए कहा और उसे संभाला।

भाजपा के नारों में आवाज है, विश्वास नहीं- कमलनाथ
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि प्रदेश के हर गांव, हर बस्ती, हर शहर में मतदाताओं तक यह बात फैल चुकी है कि भाजपा दिखाने के लिए 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ रही है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है। जिसमें भी उसे हार ही दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नारों में आवाज है, लेकिन विश्वास नहीं है। भाजपा जानती है कि वो विधानसभा चुनाव हार रही है। ऐसेमें केंद्रीय नेतृत्व ने सोचा कि जनता का आक्रोश और गुस्सा 2024 से पहले 2023 के चुनाव में निकलकर कुछ कम हो जाए। इसलिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव में अपने सांसदों को लड़वाने पर जोर दे रहा है। जब सांसद विधानसभा का चुनाव ही हार जाएंगे तो उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया जाएग और नए चेहरों को टिकट देकर एंटी इंकम्बेन्सी को थोड़ा कम किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *