सत्ता मिलते ही चीन के हाथों की कठपुतली बने मालदीव के नए राष्ट्रपति
माले
चुनाव जीतने के बाद ही मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू ने भारत विरोधी रुख दिखाना शुरू कर दिया है. चीन समर्थक मोहम्मद मुइजू ने मालदीव से भारतीय सेना को हटाने की बात दोहराई है. उन्होंने कहा कि वे अपने कार्यकाल के पहले ही दिन से मालदीव की धरती से विदेशी सैनिकों (भारतीय) को हटाने के प्रयास शुरू करेंगे.
दरअसल, मालदीव में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुइजू ने 53% से अधिक वोट हासिल करके शानदार जीत हासिल की. मुइजू को चीन समर्थक माना जाता है जिन्होंने इस चुनाव में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के उम्मीदवार और भारत समर्थक मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया. मुइजू इससे पहले राजधानी माले शहर के मेयर रहे हैं. वे चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते रहे हैं.
भारतीय सेना की तैनाती के पक्ष में थे पूर्व राष्ट्रपति
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति सोलिह 2018 में राष्ट्रपति चुने गए थे. मुइजू ने उनपर आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को देश में मनमर्जी से काम करने की आजादी दी है. मुइजू ने वादा किया था कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं, तो वह मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटा देंगे और देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे. हालांकि, सोलिह ने तब कहा था कि मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी केवल दोनों सरकारों के बीच एक समझौते के तहत एक डॉकयार्ड का निर्माण करने के लिए थी और इससे उनके देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं होगा.
भारत के हित होंगे प्रभावित?
मालदीव भारत और चीन दोनों के लिए रणनीतिक रूप से बहुत मायने रखता है. मालदीव में भारत की मौजूदगी से उसे हिंद महासागर के उस हिस्से पर नजर रखने की ताकत मिल जाती है, जहां चीन अपना प्रभुत्व तेजी से बढ़ा रहा है.
चीन ने मालदीव में बीआरआई, विकास परियोजनाओं में कर्ज और तेल आपूर्ति के जरिए अपना प्रभुत्व बढ़ाया है. वहीं, भारत के भी यहां अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट चल रहे हैं. हालांकि, मोहम्मद मुइजू पहले से ही भारत के खिलाफ खुलकर बयानबाजी करते रहे हैं. अब उन्होंने मालदीव से भारतीय सेना को बाहर करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है. ऐसे में उनका ये स्टैंड चीन को खुश करने वाला और भारत की टेंशन बढ़ाने वाला है.
कौन हैं मुइजू ?
मुइजू पेशे से इंजीनियर रहे हैं. उन्होंने 7 सालों तक मालदीव के आवास मंत्री के रूप में कार्य किया. राजधानी माले के मेयर रहते उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना गया. 45 वर्षीय नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने यूनाइटेड किंगडम से सिविल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है, और राजनीति में आने से पहले उन्होंने निजी क्षेत्र में एक इंजीनियर के रूप में काम किया था.